धृतराष्ट्र की मां की मृत्यु कैसे हुई ?
महाराज पाण्डु की दादी सत्यवती पांडु की मृत्यु से बहुत दुःखी थी। तब उनके पुत्र महर्षि व्यास ने सत्यवती से विनती कि की माता जी सुख के दिन बीत गए है अब बहुत बुरे दिन आ रहे है।
धर्म ,कर्म और सदाचार लुप्त हो जाएंगे। कौरवों के अन्याय से बहुत बड़ी बर्बादी होगी। अपने आंखों वंश का नाश होते देखने से अच्छा है कि आप चले जाइए और योगिनी बनकर योग करो।
माता सत्यवती ने उनकी बात मान कर, अंबिका और अंबालिका को इसकी सूचना दी और भीष्म कि अनुमति लेकर वन में चली गई।
धर्म ,कर्म और सदाचार लुप्त हो जाएंगे। कौरवों के अन्याय से बहुत बड़ी बर्बादी होगी। अपने आंखों वंश का नाश होते देखने से अच्छा है कि आप चले जाइए और योगिनी बनकर योग करो।
माता सत्यवती ने उनकी बात मान कर, अंबिका और अंबालिका को इसकी सूचना दी और भीष्म कि अनुमति लेकर वन में चली गई।
वन में घोर तपस्या करके सत्यवती, अंबिका और अंबालिका ने देह त्याग दिया।
धृतराष्ट्र की मां अंबिका,पांडु की मां अंबालिका और धृतराष्ट्र और पाण्डु की दादी सत्यवती थी।
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