महाभारत में ,दुर्योधन को त्यागने की सलाह किसने और क्यों दी ?
दुर्योधन जन्म लेते ही गधे की तरह रेंगने लगा। उसका शब्द सुनकर गधे, गीदड़, गिद्ध और कौवे भी चिल्लाने लगे। आंधी चलने लगी, कई स्थानों पर आग लग गई।
इन सभी लक्षणों से डरकर धृतराष्ट्र ने ब्राह्मण,भीष्म, विदूर और कुरुकुल के श्रेष्ठ पुरुषों को बुलवाया।
उस सभा में ब्राह्मण और विदूर जी ने कहा कि - महाराज आपके पुत्र (दुर्योधन) के जन्म से जो अपसगुन हो रहे है। उससे तो मालूम होता है कि आपका यह पुत्र कुलनाशक होगा।
इसलिए इसे त्याग देने में ही शान्ति है। यदि आप अपने कुल और सारे जगत का मंगल चाहते है तो आप अपने इस पुत्र को त्याग दीजिए।
परंतु धृतराष्ट्र ने ऐसा नहीं किया।
इन सभी लक्षणों से डरकर धृतराष्ट्र ने ब्राह्मण,भीष्म, विदूर और कुरुकुल के श्रेष्ठ पुरुषों को बुलवाया।
उस सभा में ब्राह्मण और विदूर जी ने कहा कि - महाराज आपके पुत्र (दुर्योधन) के जन्म से जो अपसगुन हो रहे है। उससे तो मालूम होता है कि आपका यह पुत्र कुलनाशक होगा।
इसलिए इसे त्याग देने में ही शान्ति है। यदि आप अपने कुल और सारे जगत का मंगल चाहते है तो आप अपने इस पुत्र को त्याग दीजिए।
परंतु धृतराष्ट्र ने ऐसा नहीं किया।
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