राम प्रसाद "बिस्मिल" भाग - 4

क्रांतिकारी बनने की तरफ़ पहला कदम

आर्य समाज का वार्षिक अधिवेशन अक्टूबर, 1915 में समाप्त हो गया। प्रसिद्ध स्वामी आर्यसमाजी अखिलानंद , स्वामी सोमदेव और स्वामी अनुभवानंद कुछ दिन के लिए आर्यसमाज मंदिर शाहजहांपुर में ही रुक गए। 


स्वामी सोमदेव जी ने बिस्मिल जी को अपना रिवाल्वर देते हुए कहा कि यह तुम्हारी रक्षा और देश की आज़ादी के काम आयेगी।


स्वामी सोमदेव ने बिस्मिल जी को आगरा जनपद की "वाह" के "बटेश्वर " नामक स्थान से पूर्व की ओर जमुना की कछार में स्थित "मई " नामक गांव के निवासी पण्डित गेंदालाल दीक्षित का पता बताया। 


पण्डित जी " महावीर दल " नामक एक क्रान्तिकारी संगठन चला रहे थे। 


सोमदेव जी ने बिस्मिल जी को एक चिट्ठी दी और कहा कि तुम गेंदालाल जी से संपर्क करो। बिस्मिल जी ने दीक्षित जी से देश में चल रहे क्रान्तिकारी गतिविधियों की जानकारी ली।

Comments

Popular posts from this blog

युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ

किस ऋषि का विवाह 50 राजकुमारियों से हुआ था ?

पुराणों में इंद्र, सप्तऋषि मनु और मन्वन्तर क्या है ?