अशफ़ाक उल्ला खान भाग - 1

अशफ़ाक उल्ला खान का जन्म 22 अक्टूबर, 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांनपुर में हुआ था।  




उनके पिता का नाम शफीकुल्ला खान और माता का नाम  मजहरुनिसा बेगम था। उनके पिता पुलीस विभाग में काम करते थे।


सितम्‍बर 1920 को असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ और चौरी - चौरा काण्ड के बाद गांधी जी ने इसे फरवरी 1922 को वापस ले लिया। जिससे युवाओं को बहुत निराशा हुई।


इसके बाद अशफ़ाक उल्ला खान क्रांतिकारी गुट में जुड़ गए। राम प्रसाद बिस्मिल इस क्रान्तिकारियों के गुट के नेता थे। राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान दोनों ही बहुत घनिष्ठ मित्र बन गए थे। वे हमेशा साथ रहा करते थे।


अशफ़ाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद और अन्य कई क्रान्तिकारियों ने मिलकर बंदूकें खरीदने के लिए ट्रेन से जा रहें खजाने को 9 अगस्त 1925 को लिया था। जिसे काकोरी काण्ड का नाम दिया गया।




काकोरी काण्ड के लिए ही अशफ़ाक उल्ला खान को अन्य चार क्रान्तिकारियों के साथ फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी लोगों को उम्र कैद की।




अशफ़ाक उल्ला खान को 19 दिसंबर ,1927 को फैजाबाद जेल में, सुबह 6 बजे फांसी दी गई थी।


अशफ़ाक उल्ला खान को उर्दू और संस्कृत भाषा बहुत अच्छी तरह से आती थी।


अशफ़ाक काकोरी काण्ड के बाद विदेश जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे ,पर उनके बचपन के दोस्त ने उनको अंग्रजों से मिलकर पकड़वा दिया।


अशफ़ाक ' वारसी ' या ' हसरत ' नाम से शायरी और कविता किया करते थे।


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