गेंदालाल दिक्षित भाग - 2

 गेंदालाल जी की गिरफ़्तारी

दलपत रॉय नामक एक साथी की गद्दारी की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद गेंदालाल जी को कैद करके ग्वालियर किले में, फिर आगरा के किले में सैनिक निगरानी में रखा गया। यहां गेंदालाल जी को बहुत यातनाएं दी गई।


आगरा किले में ही इनकी भेंट राम प्रसाद बिस्मिल से हुई। इन दोनों ने मिलकर गेंदालाल जी की जेल से फरार होने की योजना बनायी। दोनों आपस में संस्कृत में बात करते थे ताकि अंग्रेज सिपाही उनकी बात को समझ ना सके।

भागने की योजना

गेंदालाल जी अंग्रेजों से कहते है कि वे क्रांतिकारियों के बारे में कुछ गुप्त बात जानते है और अंग्रेज सरकार को बताना चाहते है।


बंगाल तथा बंम्बई के विद्रोहियों में से बहुतों को वे जानते हैं, पुलिस वालों को उन पर निश्चय हो गया था कि किले के कष्टों के कारण यह सारा हाल खोल देगा। 


इसके बाद अंग्रेज इन्हें मैनपुरी ले आए और इनके गुप्त जानकारियां लेने के लालच में इन्हें सरकारी गवाह के साथ जेल में रखा गया। सिपाही ने गेंदालाल का एक हाथ और सरकारी गवाह का एक हाथ आपस में एक ही हथकड़ी में बांध दिया। ताकि वो भाग न सके।


आधी रात को जब पहरा बदला गया ,तो गेंदालाल जी रामनारायण (सरकारी गवाह) के साथ भाग गए। वहां से भागने के बाद रामनारायण उन्हें एक कमरे में बन्द कर के भाग गया। गेंदालाल जी उस कोठरी में तीन दिन तक बंद रहें।


फिर वो कोटा से आगरा आ गये यहां कोई मदद ना मिलने पर , वे अपने परिवार के पास चले गए। लेकिन परिवार ने भी उन्हें अपने पास रखने से मना कर दिया। इसके बाद वे अपनी पत्नि के साथ दिल्ली चले गए। 

मृत्यु 

गेंदालाल जी की मृत्यु छय रोग से 20 दिसम्बर , 1920 को  दिल्ली के सरकारी अस्पताल में हुई थी।

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