विक्रम संवत की शुरुआत किसने की और उससे जुड़ी कुछ खास बातें !
1) भारत के प्रतापी राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने देशवासियों को शकों के अत्याचारी शासन से मुक्त किया था। इस विजय की स्मृति में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से विक्रम संवत् का आरंभ हुआ।
2) प्राचीन काल में नया संवत् चलाने से पहले विजयी राजा के लिए अपने राज्य के लोगों को ऋण मुक्त करना जरूरी होता था। विक्रमादित्य ने भी ऐसा ही किया और अपनी प्रजा का कर्ज राजकोष से चुकाया।
3) विक्रम संवत् की शुरुआत लगभग 57 - 58 ईसा पूर्व से माना जाता है।
4) यह चन्द्र मास और सौर वर्ष पद्धति पर आधारित है।
5) ईस्वी सन् में 56 वर्ष 8 महीने 16 दिन जोड़ देने पर विक्रम संवत् का पता चल जाता है।
6) वासंतिक यानी चैत्र नवरात्र का आरंभ विक्रम संवत् की प्रथम तिथि से होता है।
7) भारत में लगभग सभी पर्व - त्योहार और विक्रम संवत् की गणना पर ही आधारित होते है।
8) ग्रिगेरियन कैलेंडर की तरह हमारे विक्रम संवत् में भी कुल 12 महीने और 365 दिन होते है।
9) हर महीने दो पक्षों शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बंटा होता है। इन पक्षों का निर्धारण चंद्रमा की स्थिति के आधार पर होता है।
10) जब पूर्ण चन्द्र का दर्शन होता है तब उसे पूर्णिमा कहते है। इसके बाद चंद्रमा का आकार घटने लगता है और एक दिन ऐसा आता है , जब वह नहीं दिखता है। उस रात को अमावस्या कहते है।
11) विक्रम संवत् के 12 महीनों के नाम इस प्रकार है - चैत्र, वैशाख , ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन , भाद्रपक्ष , अश्विन, कार्तिक , मार्गशीर्ष (अगहन) , पौष , माघ , फाल्गुन।
12) पहला महीना चैत्र का होता है जिसका आरंभ आमतौर पर ग्रिगेरियन कैलेंडर के अप्रैल महीने में होता है।
13) हमारे विक्रम संवत् को पड़ोसी राष्ट्र नेपाल ने अपना आधिकारिक कैलेंडर घोषित किया है।


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