यूनानी राजा दिमित्रिय प्रथम के तांबे के सिक्के!

'" दिमित्रिय प्रथम " युथिदिम का पुत्र और सीरिआ के सिल्यूकवंशी राजा तृतीय आंतियोक का दामाद था। इसी ने सबसे पहले प्राचीन भारतीय सिक्कों के ढंग पर तांबे के चौकोर सिक्कों का प्रचार किया था और यूनानी खरोष्ठी अक्षरों में अपना नाम और उपाधि अंकित करायी थी।


दिमित्रिय के 6 प्रकार के तांबे के सिक्के  - 

1) पहले प्रकार के तांबे के सिक्कों में एक ओर शिरस्त्राण पहने हुए राजा की मूर्ति और दूसरी ओर पक्षयुक्त वज्र गुदा हुआ था। इस तरह के सिक्के चौकोर है और इन्हीं पर सबसे पहले खरोष्ठी अक्षरों और प्राकृतिक भाषा में " महरजस अपरजितस दिमे (त्रियस) वा देमेत्रियुस " लिखा है।


2) दुसरे प्रकार के तांबे के सिक्कों पर एक ओर सिंह का चमड़ा पहने हुए हरक्यूलिस का मुख और दूसरी ओर युनानी देवी आर्तेमिस (Artemis) की मूर्ति है।


3) तीसरे प्रकार के तांबे के सिक्कों पर एक ओर राक्षसमुखयुक्त डाल वा चर्म और दूसरी ओर एक त्रिशूल बना है।


4) चौथे प्रकार के तांबे के सिक्कों पर एक ओर हाथी का सिर और दूसरी ओर युनानी देवता मर्करी (Mercury) के हाथ का एक विशिष्ठ दंड (Caduceus) बना है।


5) पांचवे प्रकार के तांबे के सिक्कों पर एक ओर राजा का मुख और दूसरी ओर हाथ में शुल और चर्म लिए हुए पैलास की मूर्ति है।


6) छठे प्रकार के तांबे के सिक्कों पर भी एक राजा का मुख और दूसरी ओर बैठी हुई पैलास की मूर्ति।

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