हर बीमारी का इलाज है,सुश्रुत संहिता में

सुश्रुत को प्लास्टिक सर्जरी का भी जनक कहा जाता है।



1) पाश्चात्य सभ्यता में इसका श्रेय हेरोल्ड गिलियस को दिया जाता है। हेरोल्ड गिलियस ने पहली सफल प्लास्टिक सर्जरी 1917 में की थी पर महर्षि सुश्रुत ने यह विधि हेरोल्ड गिलियस से कम से कम 2800 वर्ष पहले ही विकसित कर ली थी।

2) सुश्रुत संहिता में चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए की जाने वाली कई शल्य चिकित्सकीय विधियों का उल्लेख है।



3) सुश्रुत संहिता में 110 से अधिक बीमारियों और 700 से अधिक औषधियों के बारे में बताया गया है।



4) सुश्रुत संहिता का आधुनिक रूप रसायानवेत्ता नागार्जुन ने पुनः विक्रम संवत् 57 में संपादित किया था।

1) सुत्रस्थान
2) निदानस्थान
3)शरीरस्थान
4) चिकित्सास्थान
5) कल्पस्थान
6) उत्तरस्थान 

5) अस्थिभंग, कृत्रिम अंगरोपण, प्लास्टिक सर्जरी, दंतचिकित्सा, नेत्रचिकित्सा, मोतियाबिंद का शस्त्रकर्म, पथरी निकालना, माता का उदर चीरकर बच्चा पैदा करना आदि की विस्तृत विधियाँ सुश्रुतसंहिता में वर्णित हैं।


6) सुश्रुत संहिता में मनुष्य की आंतों में कर्कट रोग (कैंसर) के कारण उत्पन्न हानिकर तन्तुओं (टिश्युओं) को शल्य क्रिया से हटा देने का विवरण है।

7) शल्यक्रिया द्वारा शिशु-जन्म (सीजेरियन) की विधियों का वर्णन किया गया है।

8) ‘न्यूरो-सर्जरी‘ अर्थात्‌ रोग-मुक्ति के लिए नाड़ियों पर शल्य-क्रिया का उल्लेख है तथा आधुनिक काल की सर्वाधिक पेचीदी क्रिया ‘प्लास्टिक सर्जरी‘ का सविस्तार वर्णन सुश्रुत के ग्रन्थ में है।

शल्यप्रधान रोगों (आपरेशन से ठीक होने वाले)

जैसे अर्श (बवासिर), भगन्दर (गुदा के पास होने वाला घाव), अश्मरी (मूत्राशय, एवं पित्ताशय की पथरी), मुढ़गर्भ (माँ के गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु), गुल्म (ट्यूमर) आदि रोगों का निदान लक्षण एवं सम्पूर्ण चिकित्सा का वर्णन है।

जिसमें आँख, कान, नाक एवं सिर के रोगों का वर्णन है।

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