महाभारत का वह योद्धा जिसका जन्म चार हाथो और तीन आंखों के साथ हुआ
शिशुपाल जन्म
शिशुपाल के पिता का नाम वेदीराज और माता का नाम अनंतर था।
जब शिशुपाल पैदा हुआ था तब उसके तीन नेत्र और चार भुजाएं थी।
शिशुपाल की ऐसी स्थिति देखकर शिशुपाल के पिता, मंत्री और बाकी सभी बहुत भयभीत हो गए। सभी ने मिलकर उस बालक को त्यागने का मन बना लिया।
तभी आकाशवाणी हुई कि इस बालक को ना त्यागे और इसका पालन पोषण करे। यह बहुत बलवान होगा।
उनकी यह बात सुनकर शिशुपाल की मां बहुत संतुष्ट हुई।
उनकी यह बात सुनकर शिशुपाल की मां बहुत संतुष्ट हुई।
शिशुपाल की मां ने कहा - कि आप चाहे जो भी देवता हो मैं आपको प्रणाम करती हूं। कृपया मुझे ये बताए कि मेरे पुत्र की मृत्यु किसके हाथों से होगी ?
यह पूछने पर आकाशवाणी से फिर आवाज आई कि-
" जिसके गोद में जाने से तुम्हारे पुत्र की दो अधिक भुजाएं गिर जाएं और जिसके देखने मात्र से तुम्हारे पुत्र की तीसरी आंख लुप्त हो जाए ,उसी के हाथ से तुम्हारे पुत्र की मृत्यु होगी "
उस समय इस विचित्र शिशु के बारे में सुनकर अधिकांश राजा इसे देखने आए।राजा वेदीराज के सभी के हाथ में बारी - बारी से इस शिशु को रखा। लेकिन ना अधिक भुजाएं गिरी ना ही नेत्र लुप्त हुआ।
श्री कृष्ण और बलराम भी अपनी अनंतर बुआ के शिशु से मिलने आए।
श्री कृष्ण के गोद में लेते ही शिशुपाल की अधिक दो भुजाएं गिर गई और तीसरा नेत्र भी गायब हो गया।
तब शिशुपाल की माता ने भयभीत होकर कहा - कृष्ण तुम मुझे वचन दो की तुम मेरे पुत्र को नहीं मारोगे।
श्री कृष्ण ने कहा - मैं ऐसा वचन नहीं दे सकता लेकिन, मैं यह वचन जरूर देता हूं कि
" मैं शिशुपाल के ऐसे 100 अपराध क्षमा कर दूंगा, जिनके बदले उसे मृत्यु दण्ड मिलना चाहिए। "
शिशुपाल का वध
जिस समय युधिष्ठिर ने इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ करवाया था। इंद्रप्रस्थ की उस सभा में शिशुपाल, भीष्म पितामह और श्री कृष्ण की निन्दा करने लगा।
तब श्री कृष्ण ने कहा - कि मैंने तुम्हारी मां और अपनी बुआ को तुम्हारे (शिशुपाल) 100 (मृत्युदंड योग्य) अपराध क्षमा करने का वचन दिया और आज तुम्हारे 100 अपराध पुरे हो गए।
यह कहने के बाद श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सर धड़ से अलग कर दिया।


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