रावण को क्या - क्या श्राप मिला ? ?
1) वेदवती द्वारा श्राप
एक बार रावण ने एक तपस्विनी को देखा जो बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व वाली थी।रावण ने उस तपस्विनी से उनका और उनके पिता का नाम पूछा ?
उस तपस्विनी ने कहा - कि मेरा नाम वेदवती है। बृहस्पति जी के पुत्र कुशध्वज नामक ब्रह्मऋषि मेरे पिता है।
वेदवती ने कहा - यक्ष,गंधर्व, राक्षस,देवता और नाग मेरे पिता के पास जाकर मुझसे विवाह करने को कहते थे। परंतु मेरे पिता चाहते थे कि उनके जमाता भगवान विष्णु हो।
इस बात से दैत्येंद्र शम्भु बहुत कुपित हुए और उसने रात में सोते समय मेरे पिता की हत्या कर दी और मेरी माता मेरे पिता के साथ सती हो गई।
तब से मैं अपने पिता की इच्छा पूर्ति के लिए विष्णु जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए तप कर रही हूं। इसलिए मैं तुमसे (रावण) विवाह नहीं कर सकती।
रावण फिर भी नहीं माना और उसने वेदवती के बालों को पकड़ लिया। इससे क्रोध में आकर वेदवती ने अपने बालों को काट दिया और फिर आग में कूद कर अपना जीवन त्याग दिया।
मृत्यु से पूर्व उन्होंने रावण को श्राप दिया कि
" मैं फिर से जन्म लूंगी और मैं तेरी मृत्यु का कारण बनूंगी"।
वेदवती ने ही दूसरे जन्म में राजा जनक की पुत्री सीता जी के रूप में जन्म लिया था।
2) अयोध्या नरेश अनरण्य का श्राप
रावण युद्ध करने की इच्छा से जगह - जगह भ्रमण करने लगा और हर उस प्रांत या राज्य जहां वो पहुंचता था। वह उन राजाओं के लिए युद्ध का प्रस्ताव रखता था।
रावण से ज्यादातर राजा बिना लड़े ही अपनी हार स्वीकार कर लेते थे।लेकिन अयोध्या के राजा अनरण्य ने रावण से युद्ध किया।
युद्ध के दौरान उन्होंने रावण के सर में 800 बाण मारे इससे रावण बहुत क्रोधित हुआ और उसने अनरण्य के सर पर जोर से थप्पड़ मारा,जिससे अनरण्य जमीन पर गिर गए। यह देखकर रावण उन पर हंसने लगा।
तब अनरण्य ने रावण को श्राप दिया कि-
" हे रावण जिस इक्ष्वाकु कुल की तू हंसी उड़ा रहा है उसी इक्ष्वाकु कुल में दाशरथी राम उत्पन्न होंगे जो तेरा वध करेंगे। "
3) नलकुबेर द्वारा श्राप
एक बार रावण एक स्थान पर विश्राम कर रहा था तभी उसने वहां से अप्सरा रम्भा को जाते हुए देखा। रम्भा को देखकर रावण ने उसका रास्ता रोका।
रम्भा ने हाथ जोड़कर रावण से कहा की मैं आपके पुत्रवधु के समान हूं आप मुझे जाने दे। मै आपके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर से प्रेम करती हूं। किन्तु रावण ने उनकी बात नहीं मानी और रावण ने रम्भा के साथ बलात्कार किया।
जिसके बाद रम्भा रोते हुए नलकुबेर के पास पहुंची और उसे सारा वृत्तांत सुना दिया। तब नलकुबेर ने अपनी योग साधना के माध्यम से ये सारा वृत्तांत देखा और क्रोध में आकर रावण को श्राप दिया कि -
" अब से अगर तू (रावण ) ने किसी भी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध संभोग किया तो तेरे सर के सात टुकड़े हो जाएंगे।"
4) नंदी जी का श्राप
एक बार रावण अपने बड़े भाई कुबेर से छीने हुए पुष्पक विमान में कैलाश पर्वत के शिखर के पास से गुजर रहा था। तभी पुष्पक विमान रूक गया, आगे नहीं बढ़ पा रहा था।
तब नंदी जी ने कहा कि यह कैलाश पर्वत महादेव का निवास स्थान है। तुम अपना मार्ग बदल लो।
तब नंदी जी ने कहा कि यह कैलाश पर्वत महादेव का निवास स्थान है। तुम अपना मार्ग बदल लो।
यह सुनकर रावण ने नंदी जी का मजाक उड़ाने लगा।
रावण ने नंदी जी की शारीरिक बनावट और उनके चेहरे की बनावट का उपहास किया और उन्हें वानर मुुख वाला भी कहा। यह सुनकर नंदी जी बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने रावण को श्राप दिया कि-
" जिस वानर मुख का तू उपहास कर रहा है वहीं तेरे ,और तेरे पुत्रों का नाश करने का साधन बनेंगे। "
" जिस वानर मुख का तू उपहास कर रहा है वहीं तेरे ,और तेरे पुत्रों का नाश करने का साधन बनेंगे। "


🤗🤗🤗 thanks for writing..
ReplyDeleteThank you,post padhne k liye.
DeleteAgar Aapke pass koi sujhaw ya topic hai to comment section me likhkar bheje .