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Showing posts from April, 2020

आयुर्वेद में कौन सी बीमारी को ,किस नाम से जानते है ?

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आयुर्वेद भारत का बहुत ही पुराना इलाज का तरीका है। जड़ी-बूटियों, मिनरल्स, लोहा (आयरन), मर्करी (पारा), सोना, चांदी जैसी धातुओं के जरिए इसमें इलाज किया जाता है। कुछ लोग ही इस बात को जानते हैं कि आयुर्वेद में सर्जरी (शल्य चिकित्सा) का भी अहम स्थान है। सुश्रुत संहिता में स्पेशलिटी के आधार पर आयुर्वेद को 8 हिस्सों में बांटा गया है - 1. काय चिकित्सा (मेडिसिन) ऐसी बीमारियां जिनमें अमूमन दवाई से इलाज मुमकिन है, जैसे विभिन्न तरह के बुखार, खांसी, पाचन संबंधी बीमारियां। 2. शल्य तंत्र (सर्जरी) वे बीमारियां जिनमें सर्जरी की जरूरत होती है। जैसे - फिस्टुला, पाइल्स आदि। 3. शालाक्य तंत्र (ENT) आंख, कान, नाक, मुंह और गले के रोग। 4. कौमार भृत्य (महिला और बच्चे) स्त्री रोग, प्रसव विज्ञान, बच्चों को होने वाली बीमारियां। 5. अगद तंत्र (विष विज्ञान) ये सभी प्रकार के विषों, जैसे सांप का जहर, धतूरा आदि जैसे जहरीले पौधे का शरीर पर पड़ने वाले असर और उनकी चिकित्सा का विज्ञान है। 6. रसायन तंत्र (रीजूवनेशन और जेरियट्रिक्स) इंसानों को स्वस्थ कैसे रखा जाए और उम्र का असर कैसे कम हो। 7....

24 भारतीय सैनिको ने 1000 चीनी सैनिकों को हराया ?

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  फरवरी 1963   की है चीन से लड़ाई के तीन महीने बाद एक लड़की गड़ेरिया अपनी भेड़ों को चराते - चराते   चुशूल से रेशंगला  की एकदम से उसकी निगाह तबाह हुए बंकरो और इस्तेमाल किए हुए गोलियों के खोलो पर पड़ी। वो और पास गये तो उसने देखा कि वहां चारों तरफ़ सैनिकों की लाशें ही लाशें पड़ी हुई थी। जानी मानी सैनिक विशेषज्ञ  और भारतीय सेना के परमवीर चक्र विजेताओं पर किताब   " The Brave "  लिखने वाली   रचना बिस्ट  के बताती है कि- " सिपाहियों के लाशों के हाथों में हथियार ऐसे पड़े हुए थे, डॉक्टर के हाथों में सिरिंज , किसी की हाथों में हथियार वैसे ही पड़े हुए थे ,इं सब से पता चलता है कि वे बहुत बहादुरी से लड़े थे। जो कुछ सैनिक बच कर आए थे।" वे सारे सिपाही अहीर चार्ली कंपनी से थे।  वे सारे सैनिक राजस्थान के   रेवाड़ी  से  थे। लड़ाई से बच गए सैनिक जब अपने गांव रेवाड़ी पहुंचे तो उन्हें और उनके परिवारों को पूरी तरह से बहिष्कृत कर दिया गया था। गांव के लोगों का कहना था कि  वे सारे कायर थे और युद्ध से...

भास्कराचार्य ने, न्यूटन से 800 साल पहले ही कर ली थी गुरुत्वाकर्षण की खोज !

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भास्कराचार्य द्वितीय कुछ विद्वानों के दो मत माने जाते है। प्रथम मत के अनुसार  भास्कराचार्य द्वितीय का जन्म सन्  1114 ईसवी  में मध्य प्रदेश के  बिदुर या बिदार नामक स्थान पर हुआ था।  जबकि कुछ विद्वान मानते थे कि उनका जन्म  बीजापुर   नामक स्थान पर हुआ था जो आजकल  कर्नाटक  राज्य में स्थित है। उनके पिता का नाम   महेश्वराचार्य  था। जो खुद भी एक गणितज्ञ और खगोलविद थे। हालांकि  भास्कराचार्य द्वितीय  का कर्म क्षेत्र   उज्जैन (अवंतिका)  था।  गोलाध्याय के प्रश्नाध्याय, श्लोक 58 में भास्कराचार्य लिखते हैं कि - "रसगुणपूर्णमही समशकनृपसमयेऽभवन्मोत्पत्तिः। रसगुणवर्षेण मया सिद्धान्तशिरोमणि रचितः॥"  श्लोक का अर्थ -  " शक संवत १०३६ (1036)  ,अर्थात ईसवी संख्या १११४ (1114)  में हुआ था और 36 वर्ष की आयु में उन्होंने शक संवत ११७२ (1172) अर्थात ईसवी संख्या ११५० ( 1150) में " लीलावती " कि रचना की थी।                 ...

RBI से जुड़ी 12 ऐसी बातें जो कम ही लोग जानते है !

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1) RBI ने  1938,1954 और 1978  में 10,000 के नोटों की छपाई भी की थी। 2) RBI 1 रुपए,5 रुपए,10 रुपए, और 100 रुपए  के पाकिस्तानी नोट भी छापता था। पाकिस्तान की सरकार 1953 से लेकर के 1980 तक एक रुपये का नोट खुद ही जारी करता रहा। पाकिस्तान में 1953 तक भारत से ही करेंसी नोट छपकर आते रहे। इसी साल पाकिस्तान के   सेंट्रल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी)  ने देश में खुद नोट छापना शुरू किया था। 3) रिजर्व बैंक ने 5,000 मूल्‍य वर्ग के नोटों की छपाई साल  1938  में की थी। इसके बाद 1954 और 1978 में भी इन नोटों की छपाई की गई थी। 4) भारत के अलावा रिजर्व बैंक दो अन्‍य देशों   पाकिस्‍तान और म्‍यांमार (बर्मा)  के सेंट्रल बैंक के रूप में अपनी भूमिका निभा चुका है। आरबीआई ने  जुलाई 1948  तक पाकिस्‍तान और   अप्रैल 1947  तक म्‍यांमार (बर्मा) के सेंट्रल बैंक के रूप में काम किया। 5) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में   द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी नहीं हैं।  इसमें 17 हजार श्रेणी -1, श्रेणी - 3 ...

हर बीमारी का इलाज है,सुश्रुत संहिता में

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सुश्रुत को   प्लास्टिक सर्जरी  का भी जनक कहा जाता है। 1) पाश्चात्य सभ्यता में इसका श्रेय हेरोल्ड गिलियस को दिया जाता है। हेरोल्ड गिलियस ने पहली सफल प्लास्टिक सर्जरी 1917 में की थी पर  महर्षि सुश्रुत  ने यह विधि हेरोल्ड गिलियस से कम से कम   2800 वर्ष  पहले ही विकसित कर ली थी। 2)  सुश्रुत संहिता  में चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए की जाने वाली कई शल्य चिकित्सकीय विधियों का उल्लेख है। 3)  सुश्रुत संहिता  में 110 से अधिक बीमारियों और 700 से अधिक औषधियों के बारे में बताया गया है। 4)  सुश्रुत संहिता  का आधुनिक रूप   रसायानवेत्ता नागार्जुन  ने पुनः विक्रम संवत् 57 में संपादित किया था। 1) सुत्रस्थान 2) निदानस्थान 3) शरीरस्थान 4) चिकित्सास्थान 5) कल्पस्थान 6) उत्तरस्थान  5) अस्थिभंग, कृत्रिम अंगरोपण, प्लास्टिक सर्जरी, दंतचिकित्सा, नेत्रचिकित्सा, मोतियाबिंद का शस्त्रकर्म, पथरी निकालना, माता का उदर चीरकर बच्चा पैदा करना आदि की विस्तृत विधियाँ सुश्रुतसंहिता में ...

RBI को कितनी पूंजी लगाकर शुरू किया गया था ?

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की स्थापना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI ) को बैंकों का बैंक कहा जाता है।  1919  के बाद हमारे देश में बहुत सारे बैंक स्थापित होने लगें,पर वो सारे प्राइवेट बैंक थे।  ये बैंक अपने हिसाब से नियम बनाते और ग्राहकों को न चाहते हुए भी उसका पालन करना पड़ता था।   फिर ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने  1920  में एक कमिटी बनाई ,जिसका नाम  हिल्टन यंग कमिशन या रॉयल  कमिशन  (Hilton young commission or Royal commission ) था। फिर  1926  में  रॉयल  कमिशन  ने अपनी एक रिपोर्ट सरकार को पेश की और इन्हीं की सिफारिशो पर  1934  में  RBI ऐक्ट  पास हुआ। RBI की स्थापना  1  अप्रैल 1935  को  हुई थी। RBI की प्रारंभिक पूंजी RBI की स्थापना  1  अप्रैल 1935  को  हुई थी। RBI की प्रारंभिक पूंजी  5  करोड़ रूपए  थी जो कि प्राइवेट शेयर होल्डर द्वारा लगाया गया था। उस समय RBI एक   प्राइवेट बैंक  था जिसको सभी प्...

अकबर की फारसी रामायण !

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मुगल बादशाह अकबर द्वारा रामायण का फारसी में अनुवाद करवाया गया था। उसके बाद  हमिदबानू बेगम,रहीम  और  जहांगीर  ने भी अपने लिए रामायण का अनुवाद करवाया था।  मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी हिन्दुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ  रामायण और महाभारत  का फारसी अनुवाद भी है। बादशाह अकबर के दरबार में  मूल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी,  भी एक ऐसी शक्सियत रहे,जिनका  अरबी,फारसी   के साथ ही  संस्कृत  पर भी अच्छी पकड़ थी। मूल्ला अब्दुल कादिर  का जन्म  राजस्थान  में हुआ था। लेकिन बाद में तालिम के सिलसिले में वो , बदायूं आये और यही रह गए। 1573 ईसवी  में  जमाल ख़ान  और   हकीम एनुल मुतक  इन्हें अकबर के दरबार में ले गए और इन्हे दरबारी विद्धवानों में शामिल कर लिया गया। मूल्ला अब्दुल कादिर  ने   मुंतखिबुत तवारीख  नाम से दो जिल्दो   में किताब लिखी, जो विद्वानों के बीच बहुचर्चित हुई। इसकी पहली जिल्द में "  हिंदुस्तान के इतिहास पर प्रका...

एक युग कितने वर्षों का होता है?

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श्रीमद भागवत पुराण में भगवान विष्णु से उत्पन्न ब्रम्हा की आयु 100 वर्ष मानी गई है। ब्रह्मा जी की आयु का आधा 50 वर्ष पुर्वपरार्ध (प्रथम) तथा उत्तरार्ध के 50 वर्ष को द्वितीय परार्ध कहते है। वर्तमान में पूर्वार्ध 50 आयु व्यतीत हो चुकी है। सतयुग,त्रेता,द्वापर और कलयुग को मिलाकर  1 महायुग  कहलाता है। 1000 महायुग  व्यतीत होने पर ब्रम्हा का 1 दिन होता है और इतनी ही वर्षों की रात होती है। महर्षि व्यास के कथनानुसार ब्रह्मा के एक दिन में 14 मनु शासन करते है। मनु को मनवंतर भी कहा जाता है। प्रत्येक मनु का शासन काल   71 महायुगों  का होता है। 1  महायुग  में 43,23,000 वर्ष होते है ये सौर वर्ष कहलाते है। 14 मनुओ के राज्य को 1 कल्प  कहते है अर्थात ब्रह्मा का एक दिन एक कल्प कहलाता है। प्रत्येक कल्प के अंत में एक संधि होती हैं। मनु के संधि का मान, सतयुग के वर्षमान के बराबर होता है। पूर्वपरार्ध के अंत में ब्रह्मा नामक महान कल्प हुआ,उसी में ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी। आदि में ब्रम्ह कल्प अंतिम पाद कल्प कहलाया। सतयुग या ( कृतयुग )  सतयुग...

रामायण को दुनिया में कितने देशों और कितनी भाषाओं में पाया गया है?

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भारतीय महाकाव्य रामायण के भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में अलग- अलग भाषाओं में भी पाई जाती है।ऐसा अनुमान है कि लगभग 300 से 3000 तरह की  रामायण है जिनमें से कुछ यहां दी गई है - 1) थाईलैंड की रामायण थाईलैंड का  राष्ट्रीय ग्रंथ  रामायण है। वैसे थाईलैंड में  थेरावाद बौद्ध  के मानने वाले बहुमत में हैं। फिर भी वहां का  राष्ट्रीय ग्रंथ  रामायण है। जिसे  थाई  भाषा में  राम कियेन कहते है। जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है, जो  वाल्मीकि रामायण  पर आधारित हैं। 2)  इंडोनेशिया की रामायण इंडोनेशिया में  रामायण काकावीन  नाम का  ग्रंथ  प्रचलित है। ये बहुत पुराना ग्रंथ है।  रामायण काकावीन  की रचना  कावी भाषा  में हुई है। यह इंडोनेशिया के  जावा की  प्राचीन भाषा है। काकावीन  का अर्थ महाकाव्य है।  रामायण  काकावीन  26 अध्यायों का विशाल  ग्रंथ है। 3) तिब्बती रामायण तिब्बती रामायण की छह प्रतियां  तुंन हुआंग  नामक स्थल से प्राप्त हु...

श्री कृष्ण का वह शत्रु जो, दो माताओं से दो भागों में पैदा हुआ था

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जरासंध की जन्म कथा मगध देश के  वृहद्रथ ( बृहद्रथ) नाम के राजा राज करते थे। राजा  वृहद्रथ  ने काशी नरेश की दो कन्याओं से विवाह किया था और प्रतिज्ञा ली थी कि मैं तुम दोनों से समान प्रेम करूंगा। काफी समय और हर तरह के यज्ञ होम आदि के बाद भी   राजा वृहद्रथ  को संतान प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन उन्होंने सुना कि   गौतम कक्षिवान  के पुत्र   महात्मा चण्डकौशिक  तपस्या से इधर आए हैं और एक वृक्ष के नीचे ठहरें है। यह सुनकर  राजा वृहद्रथ  अपनी दोनों रानियों को लेकर वहां पर गए। महर्षि के पूछने पर राजा ने बताया कि उनकी कोई संतान नहीं है।  यह सुनकर महर्षि, जिस आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। उसी पेड़ से एक आम को अभिमंत्रित करके उन्होंने राजा को दिया। इसके बाद  राजा वृहद्रथ  अपनी रानियों के साथ वापस लौट आए। वापस लौट कर रानियों ने उस आम को आधा - आधा बांटकर खा लिया।  फिर समय आने पर दोनों के   शरीर का एक - एक टुकड़ा पैदा हुआ।  प्रत्येक टुकड़े में एक आंख,एक कान,एक हाथ,एक पैर आधा पे...

महाभारत का वह योद्धा जिसका जन्म चार हाथो और तीन आंखों के साथ हुआ

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शिशुपाल जन्म शिशुपाल के पिता का नाम   वेदीराज  और माता का नाम   अनंतर  था। जब शिशुपाल पैदा हुआ था तब उसके   तीन नेत्र  और   चार भुजाएं  थी। शिशुपाल  की ऐसी स्थिति देखकर  शिशुपाल के पिता, मंत्री और बाकी सभी बहुत भयभीत हो गए। सभी ने मिलकर उस बालक को त्यागने का मन बना लिया। तभी आकाशवाणी हुई कि इस बालक को ना त्यागे और इसका पालन पोषण करे। यह बहुत बलवान होगा। उनकी यह बात सुनकर शिशुपाल की मां बहुत संतुष्ट हुई। शिशुपाल  की मां ने कहा - कि आप चाहे जो भी देवता हो मैं आपको प्रणाम करती हूं। कृपया मुझे ये बताए कि   मेरे पुत्र की मृत्यु किसके हाथों से होगी ?  यह पूछने पर आकाशवाणी से फिर आवाज आई कि-  " जिसके गोद में जाने से तुम्हारे पुत्र की दो अधिक भुजाएं गिर जाएं और जिसके देखने मात्र से तुम्हारे पुत्र की तीसरी आंख लुप्त हो जाए ,उसी के हाथ से तुम्हारे पुत्र की मृत्यु होगी   " उस समय इस विचित्र शिशु के बारे में सुनकर अधिकांश राजा इसे देखने आए। राजा वेदीराज  के सभी के हाथ...

प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत भारत में हुई थी ना कि विदेशों में !

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महर्षि सुश्रुत महर्षि सुश्रुत को भारतीय चिकित्सा विज्ञान का जनक माना जाता है।  महर्षि सुश्रुत  के जन्म और काल की बहुत अधिक जानकारी नहीं है लेकिन उनके द्वारा रचित सुश्रुत संहिता के   1200 से 600 ईसा पूर्व  की है। जिससे यह पता चलता है कि भारत में शल्य चिकित्सा   3200 ईसा पूर्व  भी थी। प्राचीन   मिस्र  के लेखों में   धन्वंतरी  जैसे ही एक देवता का जिक्र मिलता है जिनका नाम  थोथ  था।                               थोथ बहुत से इतिहासकार इन दोनों को एक ही मानते है क्योंकि इन दोनों के समय,कार्य और इनसे जुड़ी कहानियों में बहुत अधिक समानता है। यह प्राचीन   भारतीय लिपि ब्राम्ही  में लिखी गई थी। वाग्भट्ट   अष्टांगहृदय  में भी  महर्षि सुश्रुत  का काफी वर्णन है। बोवर मेनुस्क्रिप्ट  में 5 वीं शताब्दी में चीन में लिखी गई थी। बोवर मेनुस्क्रिप्ट   चीन के टाकला - मा...