भारतीय वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र महालनोबिस के महत्वपूर्ण कार्य !
कार्य
1) प्रफुल्ल चंद्र महालनोबिस ने तीन कार्य किए - बड़े पैमाने पर सर्वे की मशीनरी गठित की, सांख्यिकी के सिद्धांतो द्वारा देश की ठोस समस्याओं को सुलझाया और विश्वस्तरीय संस्थाओं को गठित किया।
2) केंब्रिज यूनीवर्सिटी से गणित और भौतिशास्त्र का उच्च अध्ययन करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक कैविंडिश लैबोरेटरी में काम किया।
3) 1915 में वो अल्प अवकाश के लिए भारत में आए और प्रेसीडेंसी कॉलेज में भौतिक शास्त्र पढ़ाना शुरू किया।
वहां उन्हें सांख्यिकी द्वारा परीक्षा परिणामों के विश्लेषण का मौका मिला। इस काम में उन्हें इतना मजा आया कि , उन्होंने फिजिक्स छोड़ दी और फिर तथ्य, आंकड़ों , ग्राफ और चार्ट्स में ही उलझे रहे।
4) महालनोबिस के भारत आने से पहले भारत में सांख्यिकी का विषय को किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता था।
5) महालनोबिस सर्वे सैंपलिंग तकनीक के अग्रणी प्रणेता।
6) भारत की स्वतंत्रता के तुरन्त बाद उन्हें सरकार ने सांख्यिकी सलाहकार की हैसियत से नियुक्त किया।
7) 1955 में उन्होंने भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार किया जिसमें बेरोजगारी घटाने के लिए तेजी से औद्योगिकरण की दलील दी गई।
8) उन्होंने इस्पात उद्योग और बड़े कारखानों में भारी पूंजी निवेश की अपील की। उनका दृष्टिकोण 1940 की समस्याओं को प्रतिबिंबित करता था।
9) इन्होंने सांख्यिकी तौर - तरीके के गहन अध्ययन किए। महालनोबिस ने अपने कॉलेज में एक "स्टैटिस्टिकल लेबोरेट्री" की स्थापना की।
10) 1932 में यही प्रयोगशाला विकसित होकर इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट " (आईएसआई) में परिवर्तित हुई।
11) 1933 में सांख्य नामक भारतीय सांख्यिकी का एक पत्रिका भी शूरू की।
12) 1950 में उन्होंने " नैशनल सैंपल सर्वे " (एनएसएस) और 1951 में सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑर्गनाइजेशन (सीएसओ) की स्थापना की।
13) आईएसआई ने विभिन्न विषयों के अंतर्सबंधों पर विश्वस्तरीय काम किया।
14) ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन बर्डन सैंडरसन हैल्डेन ने महालनोबिस का निमंत्रण स्वीकार किया और उन्होंने आईएसआई में नियमित शोधकर्ता जैसे काम शुरू किया।
हैल्डेन के मार्गदर्शन में आईएसआई जल्द ही जीव और पौधों के जेनेटिक्स का भारत में अग्रणी शोध केंद्र बना।
15) विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ और "साइबरनेटिक्स " के पितामह नॉर्बट वाॅइनर ने आईएसआई में प्रोफेसर की हैसियत से 6 महीने बिताये।
16) महालनोबिस ने सांख्यिकी का उपयोग भारत की सामाजिक और भौतिक परिस्थितियों को गहराई से समझने के लिए किया।
17) 1920 में उन्होंने कलकत्ते के भारतीय - ईसाई समुदाय का सर्वे कर आंकड़ों द्वारा विभिन्न समुदायों के भौतिक गुणधर्मों को मापने का तरीका खोजा।
18) 1930 में केंद्रीय जुट कमेटी ने उनसे सर्वे द्वारा पूरे बंगाल में जूट के कुल उत्पादन का अनुमान लगाने को कहा।
19) 1950 में बड़े पैमाने पर किया गया, यह पहला सर्वेक्षण था और उससे ही नैशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के पहले चरण की नीव पड़ी।
एनएसएस के सर्वेक्षणों द्वारा ही देश में गरीबी और लोगों के जीवन स्तर के बारे में प्रमाणित जानकारी मिल पाई।
एनएसएस की शुरुआत से पहले इस प्रकार के बड़े पैमाने के सर्वेक्षण गरीब देशों में तो क्या दुनिया में कहीं भी नहीं हुए थे।
20) भारत की 80% जनता गांवों में रहती थी और उनमें से केवल एक - तिहाई गांव ही सड़कों से जुड़े थे। एनएसएस का काम कम खर्च में सर्वेक्षणों द्वारा दूर - दराज के इलाकों की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के आंकड़े इकट्ठे करना था।
इसके लिए गहरे तकनीकी ज्ञान, ऊर्जा , प्रतिबद्धता और लीडरशिप के गुणों की जरूरत थी। महालनोबिस इन सभी गुणों से संपन्न थे। कई भारतीय सांख्यिकी विशेषज्ञों ने विश्व स्तर पर नाम कमाया है और सभी (आईएसआई) से जुड़े रहे।
महालनोबिस की विशिष्टता थी कि उन्होंने बहुत सी ठोस समस्याओं को उठाया और वैज्ञानिक पद्धति द्वारा गंभीरता से उनका हल खोजने का प्रयास किया।


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