भारतीय जेनेटिक वैज्ञानिक बेंजेमिन
बेंजेमिन पियरे पाल (1906 - 1989)
बेंजेमिन पियरे पाल एक विश्वविख्यात जेनेटिक वैज्ञानिक तो थे,पाल के कई अलग - अलग चीजों में गहरी रूचि रखने के कारण कुछ लोग उन्हें " कृषि के होमी भाभा " मानते थे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1) बेंजेमिन पियरे पाल का जन्म 26 मई , 1906 को मुकुंदपुर ,पंजाब में हुआ था।
2) उनकी प्रारंभिक शिक्षा बर्मा में हुई , जहां उनके पिता मेडिकल डॉक्टर थे।
3) बर्मा में वो सेंट माइकल स्कूल में पढ़े और यहां उनको गुलाबो और चित्रकारों में रूचि पैदा हुई।
4) 1929 में उन्होंने एचएससी (वनस्पतिशास्त्र) में पुरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया और मैथ्यू हंटर मेडल जीता।
5) इसके बाद वो केंब्रिज गए जहां उन्होंने पीएचडी पुरी की।
6) सर रोलैंड बिफिन और सर फ्रैंक एंग्लडो के मार्गदर्शन में संपन्न उनकी पीएचडी आज भी एक क्लासिक समझी जाती है।
किताबें
फूलों के प्रति अपने प्रेम के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने ढेरों लोकप्रिय किताबें लिखीं जिनमें-
" द रोज़ इन इंडिया " ,ब्यूटीफुल क्लाइंबर्स ऑफ इंडिया ,फ्लॉवरिंग श्रब्ज और इनवायरनमेंटल कंजरवेशन एंड डेवलपमेंट मुख्य है।
अन्य बातें
वो कई अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थाओं के ट्रस्टी थे और उन्होंने बहुत से विकासशील देशों में कृषि अनुसन्धान को सही दिशा प्रदान की वैज्ञानिक समुदाय में उनका रुतबा इतना बुलंद था कि उन्हें फेलो ऑफ द रॉयल सोसायटी की सदस्यता के साथ - साथ फ्रांस , जापान, रूसी और थर्ड वर्ल्ड एकादमी ऑफ साइंसिस के सदस्य भी चुना गया।
सम्मान
1) 1987 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।


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