शिशिर कुमार मित्रा के कुछ महत्वपूर्ण कार्य !
कार्य
1) उसके बाद उन्होंने मैडम क्यूरी रेडियम इंस्टीट्यूट में काम किया।
2) कुछ समय के बाद उन्होंने इस्टाइट्यूट ऑफ फिजिक्स नैन्सी में गटन के भी साथ काम किया।
3) यहां पर मित्रा की रूचि रेडियो रिसर्च के क्षेत्र में काम करने हुई। तब तक ये विषय किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता था।
इसलिए उन्होंने सर आशुतोष मुखर्जी से "वायरलेस " विषय को एमएससी के एक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कहा और साथ में उसपर ठोस काम करने के लिए एक प्रयोगशाला भी स्थापित करने के लिए कहा।
4) 1923 में भारत लौटने के बाद मित्रा ने खैरा प्रोफ़ेसर ऑफ फिजिक्स के पद पर काम किया।
इस तरह भारत में रेडियो इलेक्ट्रॉनिकस शोध शुरु किया।
5) कुछ समय बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय में एक विश्वस्तरीय रेडियो रिसर्च विकसित हुआ जो आज इंस्टीट्यूट ऑफ रेडियो फिजिक्स एंड इलेक्ट्रोनिक्स के नाम से जाना जाता है।
6) रेडियो की कहानी सही मायने में आयनोस्फीयर की खोज के बाद शुरु हुई। मित्रा ने आयनोस्फीयर का अध्ययन किया जोकि दूर - दराज के रेडियो संप्रेषण (कम्युनिकेशन) के लिए बेहद जरूरी है।
यह वातावरण का वो ऊपरी क्षेत्र है जो छोटी लम्बाईयों वाली रेडियो को परावर्तीत करता है और इसी वजह से पृथ्वी की मुड़ी सतह पर ट्रांसमिशन हो पाती है। कलकत्ता स्थित इंडियन स्पेस ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के ट्रांसमीटर का उपयोग कर मित्रा ने पहली बार आयनोस्फीयर में स्थित ई - क्षेत्र के सबूत जुटाया।
मित्रा के अनुसार रात के आकाश में दिखने वाली दीप्ति का कारण ए - क्षेत्र में स्थित आयन थे। इस प्रकाश के कारण ही रात का आकाश स्याह काला न दिखकर थोड़ा मटमैला दिखता था।
उन्होंने कलकत्ते के ऊपर स्थित आयनोस्फीयर की परतों का अध्ययन कर कई शोधपत्र लिखे। उन्होंने सीधे सरल उपकरणों का उपयोग कर आयनोस्फीयर के अच्छे नक्शे बनाए।
उस जमाने में आयनोस्फीयर केमेस्ट्री पर अनुसंधान बस प्रारंभ ही हुआ था। यहां भी मित्रा ने ओजोन के निर्माण और उसके ध्वस्त होने की प्रक्रिया का विस्तृत अध्ययन किया।


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