शिशिर कुमार मित्रा की आयनोस्फीयर पर लिखी किताब !

शिशिर कुमार मित्रा ने आयनोस्फीयर पर एक अनूठी पुस्तक लिखी - 

" द अपर एटमॉस्फियर "

विदेशी प्रकाशक इस पुस्तक को छापने से कतराते रहे क्योंकि उन्हें लगा कि यह किताब बाकी विदेशी किताबों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी और उनकी बिक्री कम होगी !





पर जब इस पुस्तक को 1947 में एशियाटिक सोसायटी ने छापा तो उसकी 2000 प्रतियां केवल तीन वर्ष में बिक गई।


रेडियो कम्युनिकेशन ,आयनोस्फीयर, उच्च वातावरण कि भौतिकी , जियोमैग्निटिज्म और स्पेस साइंस के छात्र पीढ़ी - दर - पीढ़ी इस पुस्तक से लाभान्वित हुए।


मित्रा ने इस पुस्तक में एक नई पहल कर आयनोस्फीयर को पृथ्वी ,सूर्य और वातावरण का एक अभिन्न हिस्सा माना।


1955 में उनकी पुस्तक का रूसी भाषा में अनुवाद हुआ। 

जब स्पूतनिक - 1 का लॉन्च हुआ ,तब सोवियत वैज्ञानिकों को उपग्रहों के जीवनकाल का अनुमान लगाने के लिए मित्रा की पुस्तक " द अपर एटमॉस्फियर " में ही वातावरण के सबसे उपयुक्त मॉडल मिले।


4) 1955 में यूनीवर्सिटी रिटायर होने के बाद मित्रा वहां प्रोफ़ेसर एमरेटस की हैसियत से काम करते रहे। बंगाल के मुख्यमंत्री श्री बिधान चंद्र रॉय के आग्रह पर उन्होंने पश्चिम बंगाल के शिक्षा बोर्ड का बोझिल काम संभालते हुए भी बाद में पथप्रदर्शक का काम किया।


इनमें से कुछ प्रमुख नाम है प्रोफ़ेसर ए. पी. मित्रा (एफआरएस) , एम. के. दासगुप्ता (रेडियो एस्ट्रोनोमी) और सिगनल - ए नामक रेडियो गैलेक्सी के खोजकर्ता और प्रोफ़ेसर जे. एन. भार।

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