भारतीय वैज्ञानिक जी. एन. रामचंद्रन !
गोपालसमुद्रम नारायण रामचंद्रन (1922 - 2001)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1) जी. एन. रामचंद्रन का जन्म 8 अक्टूबर 1922 को भारत के दक्षिण - पश्चिमी तटवर्ती शहर कोचीन के पास एक छोटे शहर में हुआ था।
2) उनके पिता का नाम नारायण अय्यर था। वे एक स्थानीय कॉलेज में गणित के प्रोफेसर थे।
वे रोज अपने कॉलेज की लाइब्रेरी से गणित की कोई नई किताब लाते और रामचंद्रन को नई - नई प्रमेयों को हल करने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
3) रामचंद्रन हर एक परीक्षा में 100% अंक पाते थे।
4) 1942 में रामचंद्रन ने मद्रास यूनिवर्सिटी से बीएससी के कोर्स में पूरे विश्वविद्यालय में टॉप किया।
5) सेंट जोसेफ कॉलेज में जिन दो शिक्षकों के कारण रामचंद्रन की रूचि फिजिक्स में जगी, वे श्री पी. ई. सुब्रमण्यम और जेसुआइट पादरी फादर राजम।
6) रामचंद्रन के पिता चाहते थे कि वे इंडियन सिविल सर्विस में जाए। बाद में रेलवे इंजीनियरिंग बोर्ड की परीक्षा के लिए रामचंद्रन को दिल्ली भेजा गया।रामचंद्रन ने जानबूझ कर गलतियां की और इस परीक्षा में फेल हो गए।
7) 1942 में रामचंद्रन ने बैंगलोर की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया।
कुछ ही समय बाद उन्हें सर सी. वी. रमन फिजिक्स विभाग में ले आए।
सम्मान
1) 1977 में ही उन्हें लंदन की रॉयल सोसायटी का फेलो मनोनीत किया गया।
2) 1999 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ क्रिस्टलोग्रार्स ने रामचंद्रन को पांचवे इवाल्ड पुरस्कार से सम्मानित किया।
3) 1954 चेन्नई की सेंट्रल लैदर रिसर्च इंस्टिट्यूट ने अपने बड़े सभाग्रह का नाम रामचंद्रन द्वारा में खोज कोलोजन के ढांचे के सम्मान में " ट्रिपल - हेलिक्स " रखा गया।
मृत्यु
गोपालसमुद्रम नारायण रामचंद्रन की मृत्यु 7 अप्रैल 2001 को हुई थी।

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