6 करोड़ गंधर्वों को इक्ष्वाकु वंश के किस राजा ने मारा ?
💠पूर्व काल में रसातल में मौनेय नामक 6 करोड़ गंधर्व रहते थे, उन्होंने सभी नागकुलों के सभी रत्न और अधिकार छीन लिये थे।
💠गंधर्वों से अपमानित उन नागेश्वरों ने भगवान नारायण की स्तुति की और पूछा कि इन गंधर्वों से हमारा भय किस प्रकार शांत हो ?
💠तब भगवान् ने उन्हें बताया कि युवनाश्व पुत्र मांधाता का पुरुकुत्स नामक पुत्र है उसमें प्रविष्ट होकर मैं उन सभी गंधर्वों का नाश कर दूँगा।
💠यह सुनने के बाद सभी नाग लोक लौट आए और पुरुकुत्स को लाने के लिए (अपनी बहन और पुरुकुत्स की पत्नी) नर्मदा से कहा और वे उन्हें ले आयी।
💠रसातल में पहुंचने पर पुरुकुत्स भगवान् के बल से अपना बल बढ़ा लिया और सभी गंधर्वों का वध कर दिया और अपने नगर में लौट आये।
💠उस समय सभी नागराजों ने नर्मदा को यह वर दिया "कि जो कोई तेरा स्मरण करते हुए तेरा नाम लेगा उसको सर्प विष से कोई भय न होगा।
💠श्लोक "नर्मदा को प्रातः काल नमस्कार है और रात्रि काल में भी नर्मदा को नमस्कार है। हे नर्मदे तुमको बारम्बार नमस्कार है, तुम मेरी विष और सर्प से रक्षा करों।"
💠इस श्लोक का उच्चारण करते हुए दिन अथवा रात में किसी समय भी अंधकार में जाने से सर्प नहीं काटता तथा इसका स्मरण करके भोजन करने वाले का खाया हुआ विष भी घातक नहीं होता।
💠पुरुकुत्स को नागपतियों ने यह वर दिया कि तुम्हारी सन्तान का कभी अन्त न होगा।"
💠पुरुकुत्स ने नर्मदा से त्रसद्दस्यु नामक पुत्र उत्पन्न किया। त्रसद्दस्यु से अरण्य हुआ, जिसे दिग्विजय के समय रावण ने मारा दिया।
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