भगत सिंह भाग - 10
भगत सिंह का "सिविल मिलिट्री गजट " पत्र
जेल सुधार कमेटी ने जेलों में व्यवहार के सम्बन्ध में जो सिफारिशें की थी उन्हें लागू करने के लिए नवम्बर 1929 का समय घोषित किया गया था। लेकिन जनवरी 1930 तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
4 फरवरी ,1930 को एक सप्ताह का नोटिस देने के बाद भगत सिंह ने फिर भूख हड़ताल कर दी। सरकार ने घबरा कर एक पत्र प्रकाशित कर नया आश्वासन दिया और भगत सिंह ने भूख हड़ताल तोड़ दी।
इसके बाद भी उन्हें कुछ शिकायतें थी इसलिए उन्होंने अदालत में जाना बंद कर दिया। इस पर "सिविल मिलिट्री गजट " नामक पत्र में एक वक्तव्य छपा कि भगत सिंह ने अपनी और बटुकेश्वर दत्त की ओर से स्पेशल मजिस्ट्रेट को पत्र लिख कर कुछ शिकायतों को दूर करने की मांग की -
1) हमारे साथी अभियुक्त हिंदुस्तान के भिन्न - भिन्न दूर - दूर के प्रांतों के रहने वाले है, इसलिए उनको अपने बन्धुओं से भेंट की सुविधा मिलनी चाहिए।
2) मैं स्वयं पूरे समय के लिए वकील नहीं रख सकता , इसलिए मैं चाहता था कि मेरे आदमी अदालत में रहें। लेकिन बिना कोई कारण बताए उन्हें स्वीकृति न दे कर, लाला अमरदास एडवोकेट को जगह दे दी गई।
इंसाफ के नाम पर खेले जाने वाले नाटक को हम हरगिज भी पसंद नहीं करते, क्योंकि इससे हमें अपनी सफाई पेश करने की कोई सुविधा नहीं मिलती।
3) एक और बड़ी शिकायत हमे अखबार न मिलने की है। हवालाती कैदियों से दण्ड प्राप्त कैदीयों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। इनको रोज कम से कम एक अखबार मिलना चाहिए।
इन्ही कारणों से हमनें 29 जनवरी 1930 को अदालत में न जाने की घोषणा की। इन शिकायतों के दूर होते ही हमें अदालत आने में कोई आपत्ति न होगी।

Comments
Post a Comment