भगत सिंह भाग - 14
भगत सिंह की फांसी का दिन
23 मार्च 1931 की सुबह भगत सिंह ने ट्रिव्यून अखबार में रूस के समाजवाद के संस्थापक " लेनिन " के जीवन चरित्र की आलोचना छपी थी।
भगत सिंह " लेनिन " का जीवन चरित्र पढ़ना चाहते थे। उन्होेंने जेल के वॉर्डन द्वारा अपने मित्र प्राणनाथ मेहता को एक गुप्त पत्र भिजवाया। जिसमें लिखा था कि
" अन्तिम वसीयत के बहाने तुरन्त मुझसे मिलो, पर लेनिन का जीवन चरित्र लाना न भूलना।"
यह वो अंतिम पुस्तक थी, जिसके कुछ पन्ने भगत सिंह ने अपनी फांसी से पहले पढ़े थे।
लाहौर सेंट्रल जेल के चीफ वॉर्डन चतरसिंह को दोपहर बाद तीन बजे ये सूचना दी गई कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाएगी।
तीनों की फांसी 24 मार्च, 1930 को होने का हुक्म था, पर तय समय से एक दिन पहले ही तीनों को फांसी पर लटका दिया गया। 23 मार्च,1930 को शाम के साढ़े सात बजे।

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