भगत सिंह भाग - 12
लाहौर षड़यंत्र केस ऑर्डिनेंस
3 मई, 1930 को गवर्नर जनरल " लॉर्ड इर्विन " ने "लाहौर षड़यंत्र केस ऑर्डिनेंस" जारी किया। इसके अनुसार तीन जजों का स्पेशल ट्रिव्यूनल नियुक्त किया गया, जिसे अधिकार दिया गया कि अभियुक्तों की अनुपस्थिति में, सफाई के वकीलों और गवाहों के बिना और बिना सरकारी गवाहों की जिरह के भी वह मुकदमें का एक तरफा फैसला कर सकता है।
इस ट्रिव्यूनल के तीन सदस्यों में से दो अंग्रेज और एक भारतीय था। 5 मई ,1930 को ट्रिव्यूनल की पहली बैठक हुई।
इसके बाद भगत सिंह ने अपने साथियों से कहा यह ऑर्डिनेंस इस बात का सबूत है कि हमारी विजय हुई। उनके कुछ साथी उनसे सहमत थे और कुछ नहीं।
वायसराय ने नए ऑर्डिनेंस के ट्रिव्यूनल बनाया। जस्टिस अब्दुल कादिर और जस्टिस जे. के. टैंप को सदस्य नियुक्त किया। तब सभी अभियुक्तों को अदालत आने को कहा , लेकिन भगत सिंह ने कहा कि
" जो लोग हमारे अपमान के लिए जिम्मेदार है उनमें जस्टिस हिल्टन भी है। वे हमसे माफी मांगे तब ही हम अदालत में आयेंगे।"
मुकदमें की कार्यवाही 3 महीने तक चलती रही। पुलिस ने 400 से अधिक गवाह पेश किये। 26 अगस्त ,1930 को अदालत की कार्यवाही पूरी हो गई।
6 अक्टूबर ,1930 को अदालत के चारों ओर सशस्त्र पुलिस का पहरा लगाकर ,7 अक्टूबर को एक विशेष संदेशवाहक जेल में आया और सभी को ट्रिव्यूनल का फैसला सुनाया।
जो इस प्रकार है -
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी, सात को आजन्म कालेपानी की सजा, और 1 को सात साल और एक को तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई। बाकी को मुक्त कर दिया गया।
इस फैसले के बाद लाहौर में धारा 144 लगा दी गई।

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