रोशन सिंह भाग - 4

 फांसी

रोशन सिंह को दफा 120 बी और 121ए के तहत 5 - 5 वर्ष की सजा और काकोरी काण्ड के लिए धारा 396 के तहत फांसी की सजा सुनायी गई।

जिन्दगी जिंदा दिली को जन ए रोशन ,

वरना कितने मरते और पैदा होते रहते है।

                                 रोशन सिंह


19 दिसम्बर 1927 को फांसी वाले दिन भी रोज की तरह तड़के उठकर व्यायाम किया और गीता पढ़ी।



 एक सिपाही ने उनसे पूछा "आपको तो अभी फांसी होने वाली है , तब आप कसरत क्यों कर रहे है ?


रोशन सिंह ने कहा " जिस वक्त के लिए जो काम तय हो उसे अवश्य करना चाहिए।"


जब ज़िला मजिस्ट्रेट रोशन सिंह को लेने आए तब उनके चेहरे पर मुस्कान थी। वे हाथ में गीता लेकर उनके साथ चल दिए और सीढ़ियां चढ़ते हुए लगातार " वन्दे मातरम् " कह रहे थे। फिर "ॐ ॐ ॐ " कहा और फांसी पर झूल गए।

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