भगत सिंह भाग - 16

 भगत सिंह से जुड़ी कुछ बातें

1) भगत सिंह के जन्म से पहले उनके पिता किशन सिंह, उनके भाई अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह इन तीनों को अंग्रेज सरकार ने क्रान्तिकारी आन्दोलन के लिए जेल में बंद कर दिया था।



2) भगत सिंह के जन्म के बाद ही किशन सिंह और अजीत सिंह जेल से छूटे थे। अपने परिवार के लिए खुदकिस्मती लाने के कारण इनका नाम भगत सिंह रखा गया। जिसका अर्थ है भागों वाला या भाग्यवान

3) भगत सिंह ने कॉलेज में कई नाटकों में भाग लिया था ,एक शिक्षक ने उन्हे राणा प्रताप, सम्राट चंद्रगुप्त और भारत दुर्दशा में प्रमुख पात्रों की भूमिका करते देखा तो उन्होंने कहा था, कि एक दिन ये लड़का एक महापुरुष बनेगा।



4) अप्रैल, 1919 में हुए जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के बाद भगत सिंह वहां की मिट्टी एक बोतल में भरकर अपने घर में ले आये और अंग्रेजो से बदला लेने की बात कहते थे।

5) भगत सिंह ने कानपुर में कुछ दिनों तक समाचार पत्र बेचकर काम चलाया। यहां भगत सिंह ने अपना नाम बलवंत सिंह रखा था।

6) कुछ समय तक भगत सिंह ने कुछ गायें और भैसें पाली और डेयरी भी चलाई। 

7) भगत सिंह ने कीर्ति और अकाली नामक अखबारों के लिए लेख लिखे थे।

अखबार ने देश की खातिर फांसी पर झूल गये शहीदों का सम्मान करने के लिए एक विशेषांक निकाला।

नवंबर 1928 में चांद पत्रिका का "फांसी अंक " प्रकाशित हुआ। जिसमें " विप्लव यज्ञ की आहुतियां " शीर्षक से क्रांतिकारियों पर बहुत से लेख भगत सिंह ने लिखे। भगत सिंह ने बलवंत सिंह "मतवाला " के नाम से लिखा।

8) भगत सिंह "करतार सिंह सराभा" को अपना गुरु मानते थे और उनकी फोटो हमेशा अपने पास रखते थे। 

9) भगत सिंह को केक और रसगुल्ले बहुत पसंद थे। 

10) श्रीमती सुभद्रा जोशी जो की अदालत की कारवाही देखने आया करती थी। कई बार क्रांतिकारियों से मिलने जाती थी।

भगत सिंह से मिलने के लिए उनके किसी संबंधी को साथ ले जाना पड़ता था और उस दिन खाने का सामान भी ले जाने की अनुमति होती थी। लेकिन वह सब , मिलने के दौरान ही खाना पड़ता था, अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी।


11) 3 मार्च, 1930 को भगत सिंह अपने परिवार वालों से अन्तिम बार मिले। उस दिन की मुलाकात में उनके माता - पिता , दादाजी (अर्जुन सिंह), चाची और दो छोटे भाई कुलबीर सिंह और कुलतार सिंह थे। वापसी के समय भगत सिंह ने अपने दोनों छोटे भाइयों के लिए पत्र भी दिया था।


12) भगत सिंह के वकील प्राणनाथ मेहता ने उन्हें दया याचिका भेजने की सलाह दी। बाद में भगत सिंह ने " पंजाब के गवर्नर " को दया याचिका भेजी थी। जिसमें कहा गया था कि

"हमारे खिलाफ युद्ध जारी करने का आरोप है। इस तरह हम युद्ध बंदी हुए, तो हमारे साथ युद्धबंदियो जैसे बर्ताव किया जाय और हमें फांसी देने के बजाय , गोली से उड़ा दिया जाय।"

13) भगत सिंह ने फांसी से पहले अंतिम भोजन रसगुल्लों का किया था।

14) कुछ प्राप्त दस्तावेजों से यह पता चलता है कि भगत सिंह की शहादत के कुछ दिनों बाद ही तमिल, गुजराती, उर्दू , हिंदी, पंजाबी , सिंधी भाषाओं में कई किताबें प्रकाशित हुई, जिनमें से ज्यादातर तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने जप्त कर दी।

जप्त पुस्तक तमिल तिरुपदी री पुलियार (सरदार भगत सिंह चरित्रम) 1931, 

ए-सी- सी. न. 2854 में 23 मार्च ,1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह की फांसी से दो मिनट पूर्व के दृश्य का वर्णन मिलता है। 

15) भगत सिंह जेल में डायरी लिखा करते थे,जो बाद भगत सिंह की जेल डायरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

16) भगत सिंह ने जेल में इतनी किताबें मंगवाई की जेल प्रशासन सेंसर करते - करते थक गया।

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