भगत सिंह भाग - 8

  जेल की भूख हड़ताल 

असेंबली बम काण्ड का मुकदमा दिल्ली में चला था, जहां भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को यूरोपियन वार्ड में रखा गया था और उनके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया गया था। 


भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया क्योंकि उनका उद्देश्य था अपने जीवन की आहुति देकर जेलों में बंद राजनैतिक कैदियों की दशा में सुधार लाना। 


जेल में कैदियों को प्रताड़ित किया जाता था। लगातार सवाल पूछे जाना, नींद न लेना घंटो खड़े रखना और इस सबसे भयानक, यह कि तारकोल का तोकरा मुंह पर बांध देना और नीचे से उसे सेकना जिससे उसकी गरम लौ सांसों से जा कर बहुत कष्ट दे। 

 

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 14 जून से भूख हड़ताल शुरू की। बिना खाए वे इतने कमजोर हो गए थे की उन्हें जेल की कोठरी तक पहुंचने के लिए स्ट्रेचर का उपयोग करना पड़ा।


10 जुलाई , 1929 को लाहौर के मजिस्ट्रेट श्री कृष्ण की अदालत में सांडर्स हत्याकाण्ड का मुकदमा शुरू हुआ तो भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को स्ट्रेचर पर लाते देख दर्शकों में हाहाकार मच गया। उसी दिन बोस्र्टल जेल के उनके साथी अभियुक्तों ने उनकी सहानुभूति में अनशन किया। 

14 जुलाई, 1929 को भगत सिंह ने भारत सरकार के होम मेम्बर को एक पत्र लिखा , जिसमें ये मांगे थी - 

1) राजनैतिक कैदी होने के नाते हमें अच्छा खाना दिया जाना चाहिए। हमारे भोजन का स्तर यूरोपियन कैदियों के भोजन जैसा होना चाहिए।


2) हमें जेलों में सम्मानहीन काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। 


3) बिना किसी रोक टोक के पुस्तकें और लिखने का सामान लेने की सुविधा होनी चाहिए। 


4) कम से कम एक दैनिक पत्र प्रत्येक कैदी को मिलना चाहिए।


5) हर एक जेल में राजनैतिक कैदियों का एक विशेष वार्ड होना चाहिए और एक जेल में रहने वाले सभी राजनैतिक कैदी उस वार्ड में इकट्ठे रखे जाने चाहिए। स्नान के लिए सुविधा एवं अच्छे कपड़े मिलने चाहिए।

भूख हड़ताल का अंग्रेज सरकार पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता देख और बल पूर्वक नली द्वारा कैदियों को दूध पिलाने की कोशिश करने पर , सभी ने जेल में रखे दूध के मटके फोड़ना शुरू कर दिया।


फिर कोठरियों में पानी रखवाया गया और वे कैदियों के आस पास फल और मिठाइयां रखवाते थे। ताकि कैदी हड़ताल तोड़ दे।

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