भगत सिंह भाग - 2
साइमन कमीशन
फरवरी 1928 को एक कमिटी इंग्लैंड से भारत आयी,जो साइमन कमीशन के नाम से प्रसिद्ध है। इस कमीशन का काम यह निर्धारित करना था कि भारत की जनता को किस हद तक स्वतंत्रता और जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
लेकिन इसका एक भी सदस्य भारतीय नहीं था। भारत के लोग इससे बहुत नाराज थे। सब चाहते थे की "साइमन कमीशन " वापस जाये। जब साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा तो " नव भारत सभा " के द्वारा आयोजित हजारों लोगों के जुलूस ने इसका विरोध किया।
उस समय " स्कॉट " नामक पुलिस सुप्रीटेंडेंट ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया। पुलिस ने लोगों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया और वहां भगदड़ मच गई।
लाला लाजपत राय और उनके साथी लोग वहां से बिल्कुल नहीं हटे। तब एक पुलिस सार्जेंट जिसका नाम "सांडर्स" था, दौड़कर आगे बढ़ा और उसने लाला लाजपत राय की छाती पर बेतों से वार किया। लाला जी बूढ़े थे और उन दिनों बीमार थे। छाती पर इस प्रहार वे बिस्तर पर पड़ गये, और एक महीने बाद उनका निधन हो गया।
क्रांतिकारियों में लाला जी की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरु ने "सांडर्स" को गोली मार दी । जिससे उसकी मौत हो गई।
दूसरे दिन लाहौर की सभी सड़कों के किनारे दीवारों पर पोस्टर्स चिपके हुए दिखायी दिये। उन पर लिखा था - " लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया गया। "सांडर्स " मारा गया।"
इसके साथ ही सरकार के लिए चेतावनी के कुछ शब्द थे। पोस्टर " हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना " का नाम लाल अक्षरों में लिखा था। इस घटना से क्रांति दल के लिए जनता के मन में सम्मान बढ़ गया।
इसके बाद अंग्रेज सरकार सेक्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए चारों तरफ़ फैल गई।
उनसे बचने के लिए राजगुरु एक साधारण कर्मचारी के भेष ,चन्द्रशेखर आजाद एक पुजारी के भेष में और भगत सिंह ने एक विदेशी युवक का वेश बनाया। सिर पर हैट पहन ली , अपने बाल छोटे कटवा दिये और उनकी पत्नी बनी दुर्गा भाभी और उनका बच्चा (दुर्गा क्रान्तिकारी भगवतीचरण वोहरा की पत्नी थी) भी साथ में था। इस तरह सरकार को चकमा देकर सभी लाहौर से बाहर चले गये।



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