करतारसिंह सराबा भाग - 2

करतारसिंह , भगत सिंह की नज़र में -



अपने हिंदी के लेख " बागी करतारसिंह " में भगतसिंह ने लिखा है कि

" रणचण्डी के उस परमभक्त बागी करतारसिंह की आयु उस समय 20 साल की भी ना होने पाई थी। जब उन्होंने स्वतंत्रता की बलि बेदी पर निज रक्तांजलि भेंट कर दी। 

आंधी की तरह वे एकाएक कहीं से आए ,आग भड़काई सुमुप्त रणचण्डी को जगाने की चेष्टा की , विप्लय यज्ञ रचा और उसी में स्वाहा हो गये। वो क्या थे , किस लोक से एकाएक आये थे और फिर झट से किधर चले गये, हम कुछ भी न समझ सके।"

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