जतीद्रनाथ दास भाग - 2
अनशन और शहादत
14 जून ,1929 को लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। उन दिनों क्रांतिकारियों से जेल में बहुत दुर्व्यवहार होता था।
जबकि सत्याग्रहियों को राजनीतिक बंदी मान कर सभी सुविधाएं दी जाती थी। इसके विरोध में बटुकेश्वर दत्त, भगत सिंह और उनके अन्य साथियों ने 13 जुलाई ,1929 से लाहौर के केंद्रीय कारागार में भूख हड़ताल शुरू कर दी।
इनके समर्थन में बाकी क्रांतिकारियों ने भी अनशन शुरू कर दी। अनशन तुड़वाने के लिए वे बंदियों के हाथ पैर पकड़कर , नाक में रबर की नली डालकर पेट में दूध डाल देते थे।
जतींद्र दास के साथ भी ऐसा ही किया गया ,तो वे जोर से खांसने लगे जिसके कारण दूध उनके फेफड़ों में चला गया। जिसके कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई।
13 सितम्बर, 1926 को शाम के पांच बजे लाहौर सेंट्रल जेल में एक 25 साल के युवक ने 63 दिनों के अनशन के बाद अपने प्राण त्याग दिए।
उनकी मृत्यु के कुछ दिन बाद ही ब्रिटिश सरकार ने बंदियों को सभी प्रकार की सुविधाएं दे दी।

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