श्री कृष्ण के वंशज - 3
ययाति के पुत्र यदु का वंश
💠 ययाति के पुत्र यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टु, नल और नहुष नामक चार पुत्र हुए। सहस्त्रजित के पुत्र शतजित, शतजित के हैहय, हेहय और वेणुहय नामक तीन पुत्र हुए।
💠 हैहय के पुत्र धर्म , धर्म के पुत्र धर्मनेत्र, धर्मनेत्र के पुत्र कुंति, कुंति के पुत्र सहजित तथा सहजित के पुत्र महिष्मान थे, जिन्होंने महिष्मति पुरी को बसाया।
💠महिष्मान के पुत्र भद्रश्रेण्य, भद्रश्रेण्य के पुत्र दुर्दम, दुर्दम के पुत्र धनक,धनक के कृतवीर्य, कृताग्नि, कृतधर्म और कृतौजा नामक चार पुत्र हुए।
💠कृतवीर्य के सहस्त्र भुजाओं वाले अर्जुन (सहस्त्रर्जुन) का जन्म हुआ।
💠 अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) के 100 पुत्रों में शूर, शूरसेन, वृषसेन, मधु और जयध्वज प्रधान हैं।
💠जयध्वज के पुत्र तालजंघ थे और तालजंघ के 100 पुत्र थे इनमें सबसे बड़े वीतिहोत्र और दूसरा भरत था।
💠भरत के पुत्र वृष, वृष के पुत्र मधु और मधु के वृष्णि आदि 100 पुत्र थे। वृष्णि के कारण यह वंश वृष्णि कहलाया। मधु के कारण इसकी मधु संज्ञा हुई और यदु के नाम से इस वंश के लोग यादव कहलाये।
💠 यदु के पुत्र, क्रोष्टु के ध्वजिनिवान् नामक पुत्र थे। ध्वजिनिवान् के पुत्र स्वाति, स्वाति के पुत्र रुशंकु और रुशंकु के पुत्र चित्ररथ थे।
💠चित्ररथ के शशिबिंदु नामक पुत्र हुआ जो 14 महारत्नों [चक्र, रथ, मणि, खड्ग, चर्म (ढाल), ध्वजा और निधि (खजाना) हुए - ये सात प्राणहीन तथा स्त्री, पुरोहित, सेनापति, रथी, पदाति, अश्वारोही और गजारोही - ये सात प्राणयुक्त इस प्रकार हैं कुल 14 रत्न सब चक्रवर्तियों के यहाँ रहते हैं।] का स्वामी और शासक सम्राट था।
💠शशिबिंदु की एक लाख पत्नियाँ और 10 लाख पुत्र थे। उनमें पृथुश्रवा, पृथुकर्मा, पृथुकीर्ति, पृथुयशा, पृथुजय और पृथुदान 6 पुत्र प्रमुख थे।
💠पृथुश्रवा के पुत्र पृथुतम और पृथुतम के पुत्र उशना थे। उशना ने 100 अश्वमेध यज्ञ किया था।
💠उशना के शितपु नामक पुत्र थे। शितपु के पुत्र रुक्मकवच, रुक्मकवच के पुत्र परावृत्, परावृत् के रुक्मेषु, पृथु, ज्यामघ, वलित और हरित नामक 5 पुत्र हुए।
💠 ज्यामघ के पुत्र विदर्भ थे। विदर्भ के क्रथ,कौशिक और रोमपाद नामक तीन पुत्र थे।
💠रोमपाद के पुत्र बभ्रू, बभ्रू के पुत्र धृति, धृति के पुत्र कैशिक और कैशिक के चेदि नामक थे जिसकी संतति में चैद्य राजाओं ने जन्म लिया।
💠ज्यामघ के पुत्र क्रथ के कुन्ति नामक पुत्र थे। कुन्ति के पुत्र धृष्टि ,धृष्टि के पुत्र निधृति ,निधृति के पुत्र दशार्ह, दशार्ह के पुत्र व्योमा ,व्योमा के पुत्र जीमूत,जीमूत के पुत्र विकृति,विकृति के पुत्र भीमरथ ,भीमरथ के पुत्र नवरथ, नवरथ के पुत्र दशरथ ,दशरथ के पुत्र शकुनि ,शकुनि के पुत्र करंभि और करंभि के पुत्र देवरात थे।
💠देवरात के पुत्र देवक्षत्र , देवक्षत्र के पुत्र मधु , मधु के पुत्र कुमारवंश ,कुमारवंश के पुत्र अनु , अनु के पुत्र राजा पुरूमित्र ,पुरूमित्र के पुत्र अंशु और अंशु के सत्वत नामक पुत्र हुआ तथा सत्वत से सत्वतवंश का प्रदर्भाव हुआ।
💠 सत्वक के भजन ,भजनमान, दिव्य ,अंधक , देवावृध महाभोज और वृष्णि नामक पुत्र थे।
💠भजनमान के निमी, कृकण और वृष्णि तथा इनके तीन सौतेले भाई शतजित , सहस्त्रजित, अयुतजित ये छः पुत्र थे।
💠देवावृध के बभ्रु नामक पुत्र थे। देवावृध और बभ्रु (के उपदेश किये हुये मार्ग पर चल कर) 6074 मनुष्यों ने अमरता का पद प्राप्त किया।
💠 महाभोज की संतान से भोजवंशी तथा मृत्तिकावरपर निवासी मार्त्तिकावर नृपतिगण हुए। वृष्णि के दो पुत्र सुमित्र और युधाजित हुए।
💠 उनमें से सुमित्र के पुत्र अनमित्र ,अनमित्र के पुत्र निघ्न और निघ्न के प्रसेन और सत्राजित नामक पुत्र थे।

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