ऊधमसिंह भाग - 4
ऊधमसिंह को 2 अप्रैल ,1940 को अदालत के सामने पेश किया गया। उस वक्त उन्होंने कहा था कि - " मैंने ये हत्या इसलिए कि है क्योंकि मुझे इस इंसान से नफरत थी। उसे जो सजा मिली है वह इसके काबिल था। वह सच्चे अर्थों में एक अपराधी था। " वह मेरे देश के लोगों की आत्मा की हत्या करना चाहता था। इसलिए मैंने उसकी हत्या कर दी। अगर आप सच माने तो मैं पूरे 20 वर्ष तक इस बदले को लेने के लिए यहां वहां घूमता रहा हूं। मुझे खुशी है कि मैंने अपना काम पूरा कर लिया है। मैं मृत्यु से नहीं डरता मैं जवान मौत मरना चाहता हूं। बूढ़ा होकर या अपाहिज होकर मरने से क्या लाभ ? मैं अपने देश की जनता के लिए अपने प्राण त्याग रहा हूं। क्या लॉर्ड जैट लैंड भी मर गए है ? उनको जरूर मरना चाहिए। मैंने उनके शरीर पर भी गोलियों से वार किया था। " " मैंने अपनी आंखों से देखा है कि अंग्रेजी हुकूमत में भारत की जनता भूखी मर रही है। मैं उसके विरोध में यह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा हूं। यह मेरा कर्त्तव्य है। इससे ज्यादा सम्मान मुझे क्या दिया जा सकता है कि अपनी प्यारी मातृभूमि के लिए मैं मृत्यु को वरण करूं ।"