बलवंत सिंह भाग - 2

 कैनेडा में शव जलाने का प्रबंध

उस समय कैनेडा के प्रवासी हिंदुओं और सिक्खों को मृतक - संस्कार करने में बड़ी विपत्ति होती थी। मुर्दे जलाने की उन्हें आज्ञा नहीं थी। ऐसी अवस्था में उन लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। 

कई बार उन्हें बारिश में, बर्फ में, शवों को जंगल में ले जाकर , कुछ लकड़ियों को इकठ्ठा करके, तेल डालकर आग लगाकर भागना पड़ता था। ऐसी स्थिति में भी कैनेडियन लोगों की गोली का निशाना बनने का डर रहता था। 

बलवंत सिंह जी ने यह असुविधा दूर करने के लिए ,कुछ जमीन खरीद ली और दाह संस्कार करने की आज्ञा भी ले ली। 

गुरूद्वारा बलवंत सिंह जी के ही परिश्रम से बना था ,इसलिए सभी ने मिलकर उन्हें ही ग्रंथी बनाने का निश्चय किया। पहले तो इन्होंने मना किया, पर फिर स्वीकार कर लिया। 

पहला गुरुद्वारा

कैनेडा में जाकर बलवंत सिंह जी अपने दूसरे साथी भागसिंह जी से मिलकर गुरुद्वारा बनाने का काम शुरू किया। बैंकोवर में ही इनके प्रयत्न से अमेरिका का सबसे पहला गुरुद्वारा स्थापित हुआ। 

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