मन्मथनाथ गुप्त भाग - 2
1) गुप्त जी मात्र 13 साल की उम्र से ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए और जेल भी गए।
2) वे हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने।
3) साल 1921 में जब प्रिंस एडवर्ड बनारस आये ,तब क्रांतिकारी चाहते थे कि बनारस के महाराजा उनका बहिष्कार करें। इसलिए मन्मथनाथ जी भी लोगों को जागरूक करने के लिए पर्चे बांटे जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 3 महीने की सजा सुना दी गई।
4) 17 साल की उम्र में उन्होंने काकोरी काण्ड में भी भाग लिया। उनकी वजह से एक रेल यात्री की मृत्यु हो गई थी। जिसकी वजह से उन्हें 14 साल का कारावास हुआ।
5) 1937 में जेल से रिहा होने के बाद ,गुप्त जी क्रान्तिकारी लेख लिखने लगे। जिसके कारण उन्हें 1939 में फिर से कारावास की सजा सुना दी गई।
6) देश के स्वतन्त्र होने से 1 वर्ष पहले तक वे जेल में रहे।
मन्मथनाथ गुप्त जी की लिखीं पुस्तकें
1) गुप्त जी ने लगभग 80 पुस्तकें लिखी।
उपन्यास " बहता पानी " 1955 में प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास क्रांतिकारी चरित्रों पर केंद्रित था।
2) स्वतंत्रता के बाद " योजना " , " बाल भारती " और "आज कल " नामक हिंदी पत्रिकाओं के संपादन भी थे।
3) इन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला आत्मकथात्मक , ऐतिहासिक और "गल्प साहित्य" की रचना की है।
मृत्यु
मन्मथनाथ गुप्त की मृत्यु नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ईस्ट में 26 अक्टूबर ,2000 को अपने निवास स्थान पर, दिवाली के दिन हुई।
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