शचींद्रनाथ सान्याल भाग - 4
काला पानी की सजा
पहली बार जब उन्हें " काला पानी " की सजा हुई, तब 1937 में संयुक्त प्रदेश में कांग्रेस मंत्रिमंडल की स्थापना के बाद बाकी क्रांतिकारियों के साथ वह रिहा कर दिये गये।
रिहा होने पर कुछ दिनों तक वे कांग्रेस के प्रतिनिधि थे, लेकिन बाद में वह फॉरवर्ड ब्लॉक में शामिल हुए। इसी समय काशी में उन्होंने "अग्रगामी " नाम से एक दैनिक पत्र निकाला। वे खुद इसके संपादक थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने से पहले 1940 में शचींद्रनाथ को " कालेपानी " की सजा दे दी गई।
उनकी दूसरी जेल यात्रा के दौरान उन्हें टीबी हो गया और 1942 में उनकी मौत हो गई।
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