Posts

Showing posts from July, 2025

तारकामय नामक युद्ध किसके लिये हुआ ?

💠चंद्रमा ने राजसूय यज्ञ किया और राजमद में चूर होकर देवताओं के गुरु बृहस्पति जी की पत्नी तारा का हरण कर लिया। सभी के समझाने पर भी उसे वापस नहीं किया। 💠बृहस्पति जी से द्वेष के कारण शुक्र जी ने भी चंद्रमा का साथ दिया और अंगिरा से विद्या लाभ के कारण भगवान रुद्र ने बृहस्पति जी की सहायता की (बृहस्पति जी अंगिरा के पुत्र हैं)। 💠जिस पक्ष में शुक्र जी थे उस ओर से जम्भ और कुम्भ आदि समस्त दैत्य दानव आदि ने भी सहायता की। 💠इंद्र देव ने बृहस्पति जी की सहायता की ,इस प्रकार तारा के लिए उन्हें तारकामय नामक अत्यंत घोर युद्ध किया गया।  💠 इस प्रकार देवासुर से क्षुब्द चित्त हो संपूर्ण संसार ने ब्रह्मा जी की शरण ली। तब भगवान ने शुक्र, रुद्र, दानव और देवगण को भी युद्ध निवृत्त कर बृहस्पति जी को तारा दिलवा दी। 💠तारा जब बृहस्पति जी के पास आयी तब वह गर्भवती थी। यह देखकर बृहस्पति जी ने कहा, "मेरे क्षेत्र में तुम्हें दूसरे का पुत्र धारण करना उचित नहीं है, इसे दूर कर, अधिक दृष्टि करना ठीक नहीं है। 💠बृहस्पति के ऐसे कहने पर उनकी पत्नी ने इस गर्भ को इषीकास्तंब (सींक की झाड़ी) में छोड़ दिया। 💠 उस बालक की स...

महाराज शांतनु के राज्य में 12 वर्षों तक वर्षा क्यों नहीं हुई ?

💠प्रतीप के पुत्र देवापी ,शांतनु और बाह्रीप थे। देवापी बाल्यावस्था में ही वन में चले गये थे। इसलिए शांतनु ही राजा बने।   💠एक बार शांतनु के राज्य में 12 वर्ष से वर्षा नहीं हो रही थी। तब शांतनु ने ब्राह्मणों से इसका कारण पूछा, जिसके उत्तर में उन्होंने बताया कि ये राज्य तुम्हारे भाई का है जिसे तुम भोग रहे हो इसी कारण ऐसा हो रहा है। 💠जब तक तुम्हारा बड़ा भाई देवापी किसी तरह से पतित न हो जाये तब तक ये राज्य उसी के योग्य है। इसे तुम उसी को दे दो। 💠तब शांतनु ब्राह्मणों के साथ अपने भाई को राज्य देने वन में पहुंचे। वहां देवापी ने वेद के विरुद्ध कई बातें कहीं जिससे वे पतित हो गए और ब्राह्मणों के कहने पर शांतनु वापस लौट आये। फिर उनके राज्य में वर्षा भी हुई।

किस राजा की पत्नी उसके जन्म से पहले आयी ?

💠श्री कृष्ण के पूर्वज परावृत् के रुक्मेषु, पृथु, ज्यामघ, वलित और हरित नामक 5 पुत्र थे। 💠इनमें से ज्यामघ की अपनी पत्नी शैव्या से कोई संतान नहीं थी फिर भी ज्यामघ ने दूसरा विवाह नहीं किया। 💠एक बार जब ज्यामघ युद्ध जीत गए तब सभी शत्रु इधर - उधर भागने लगे, उसी समय राजा ने एक राजकन्या को देखा, जो अपनी रक्षा की कामना कर रही थी। तब राजा सोचकर कि मैं शैव्या से आज्ञा लेकर इस कन्या से विवाह कर लूंगा।  💠राजा जब विजय प्राप्त करके अपने राज्य में पहुँचे, तब उस कन्या को देखकर रानी शैव्या ने पूछा ये कौन है ? तब डर से राजा ने कहा कि ये मेरी पुत्रवधू है।  रानी ने फिर पूछा कि आपका तो कोई बेटा नहीं है ? राजा ने कहा कि जो बेटा पैदा होगा मैं उसके लिए ही लाया हूं।  💠कुछ समय बाद शैव्या ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम विदर्भ रखा गया और युद्ध क्षेत्र से लायी हुई उस कन्या का विवाह विदर्भ से हुआ।

85 हजार वर्षों तक राज करने वाले सहस्त्रर्जुन ?

सहस्त्रर्जुन श्री कृष्ण के पूर्वज थे, इनके पिता का नाम  कृतवीर्य था। इनकी सहस्त्र (हजार) भुजाएं थी,इसलिए इन्हें सहस्त्रर्जुन अर्जुन कहते थे। अर्जुन को क्या वरदान मिला था ? सहस्त्रर्जुन ने अत्रिकुल में उत्पन्न श्री दत्तात्रेय जी की आराधना से सहस्त्र भुजाएं, अधर्माचरण का निवारण, स्वधर्म का सेवन, युद्ध में संपूर्ण पृथ्वी पर विजय, धर्म के अनुसार प्रजा का पालन, शत्रुओं से अपराजय और त्रिलोकप्रसिद्ध पुरुष से मृत्यु जैसे कई वर मांगें और प्राप्त किये थे। अर्जुन ने कितने वर्षों राज्य किया ? सहस्त्र अर्जुन ने संपूर्ण सप्तद्वीप पृथ्वी का पालन और 10,000 यज्ञों का अनुष्ठान किया था।  उनके राज्य में कोई भी पदार्थ नष्ट नहीं होता था। उन्होंने 85,000 वर्ष तक राज्य किया। इनके राज के 85,000 वर्ष पूर्ण होने पर परशुराम जी के हाथों से सहस्त्रार्जुन का वध हुआ।

महाराज पृथु के वंशज कौन हैं ?

💠 विष्णु पुराण के अनुसार पृथु के अन्तर्द्धान और वादी नामक दो पुत्र थे। उनमें से अन्तर्द्धान से उनकी पत्नी शिखंडिनी ने हविर्धान को जन्म दिया। 💠हविर्धान से अग्निकुलीना धिषणा ने प्राचीनबर्हि , शुक्र , गय, कृष्ण, वृज और अजिन ये छः पुत्र थे।  💠हविर्धान के पुत्र प्राचीनबर्हि एक प्रजापति थे। प्राचीन कुश समस्त पृथ्वि पर फैले हुए थे इसलिए वे महाबली  प्रचीनबर्हि नाम से विख्यात हुए। 💠इन्होंने समुद्र की पुत्री सवर्णा से विवाह किया। प्राचीनबर्हि और सवर्णा के 10 पुत्र हुए, वे प्रचेता नामक पुत्र धनुर्विद्या के पारगामी थे। उन्होंने दस हजार वर्ष तक समान धर्म का आचरण करते हुए घोर तपस्या की।  💠एक बार प्राचीनबर्हि अपने पुत्रों से कहा की ब्रह्मा जी ने मुझे आज्ञा दी है कि तुम प्रजा की वृद्धि करो और मैंने भी उनसे बहुत अच्छा कह दिया है।  💠प्राचीनबर्हि के पुत्रों ने 10,000 वर्षों तक जल में ही स्थिर रहकर श्री हरि की तपस्या की। 💠वृक्षों की कन्या मारिषा हुई  और इसे प्रचेताओं को दे दिया। मारिषा के ही पुत्र दक्ष प्रजापति हुए।

निमी ने वसिष्ठ जी को क्या श्राप दिया ?

✳️इक्ष्वाकु के पुत्र निमी ने एक सहस्त्र वर्ष में समाप्त होने वाले यज्ञ का आरंभ किया। ✳️उस यज्ञ में उन्होंने वसिष्ठ जी को होता (यज्ञ करने वाला) वरण किया। तब वसिष्ठ जी ने निमी से कहा कि पाँच सौ वर्ष के यज्ञ के लिये इंद्र ने मुझे पहले ही वरण कर लिया है। इसलिए इतने समय तुम ठहर जाओ, वहाँ से आने के बाद मैं तुम्हारा यज्ञ करूँगा। ✳️उनके ऐसा कहने पर राजा ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया,तब वसिष्ठ जी को लगा कि राजा ने उनकी बात मान ली है और वे इंद्र के यज्ञ में चले गए।  लेकिन निमी ने उसी समय गौतम ऋषि को होता वरण कर लिया और यज्ञ आरम्भ कर दिया। ✳️देवराज इंद्र का यज्ञ समाप्त होते ही निमी का यज्ञ करना है ऐसा कहकर वे वहाँ से चले आये। ✳️ लेकिन जब वसिष्ठ जी ने अपने स्थान पर गौतम ऋषि को यज्ञ  का कर्म करते देखा तब क्रोध से सोते हुए निमी को श्राप दिया कि इसने मेरी अवज्ञा करके संपूर्ण कर्म का भार गौतम को सौंपा है इसलिये यह देहहीन हो जायेगा। निमी का श्राप वशिष्ठ जी को  ✳️सोकर उठने पर राजा निमी को जब ये बातें पता चली तब उन्होंने कहा इस दुष्ट गुरु ने मुझसे बिना बात किये मुझे श्राप दिया है इसलिये इसका दे...

चन्द्रवंशीय राजा किसके वंशज थे ?

💠चन्द्रवंश (सोमवंश ) के नहुष, ययाति, कार्तवीर्य और अर्जुन आदि अनेक राजा हुए। 💠संपूर्ण जगत के रचयिता भगवान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा जी के पुत्र अत्रि प्रजापति उत्पन्न हुए थे, उनके पुत्र चंद्रमा को ब्रह्मा जी ने संपूर्ण औषधि, द्विजन और नक्षत्र गण के अधिपत्य दे दिया।  💠चंद्रमा ने राजसूय यज्ञ किया और राजमद में चूर होकर देवताओं के गुरु बृहस्पति जी की पत्नी तारा को हरण कर लिया और सभी के समझाने पर भी उसे वापस नहीं लौटाया।  उन्हीं तारा और चंद्रदेव का पुत्र  बुध था। पुरुरवा वंश  💠बुध की पत्नी इला से पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा अति दानशील, यज्ञिक और वृद्ध थे। मित्रवरुण के श्राप के कारण उन्हें पृथ्वी पर शोक करना पड़ा। 💠राजा पुरुरवा के आयु, अमावसु, विश्वावसु, श्रुतायु, शतायु और अयुतायु नामक छ: पुत्र हुए। अमावसु के भीम, भीम के कांचन, कांचन के सुहोत्र और सुहोत्र के जाह्नु नामक पुत्र हुआ।  💠जह्नु के सुमन्तु नामक पुत्र थे। सुमन्तु के पुत्र अजक, अजाक के पुत्र बलाकाश्व, बलाकाश्व के पुत्र कुश और कुश के कुशांब, कुशनाभ, अधुर्त्तरजा, और वसु नामक चार पुत्र थे।  💠उनमे...

कुरु वंश के कितने राजा थे ?

🔘 विष्णु पुराण के अनुसार जह्नु के सुरथ नामक पुत्र थे। सुरथ के पुत्र विदूरथ, विदूरथ के पुत्र सार्वभौम, ,सार्वभौम के पुत्र जयत्सेन,जयत्सेन के पुत्र आराधित, आराधित के पुत्र अयुतायु, अयुतायु के पुत्र अक्रोधन और अक्रोधन के पुत्र देवातीथि हुये। 🔘 देवातीथि के पुत्र (अजमीढ़ के पुत्र ऋक्ष से भिन्न) दूसरे ऋक्ष का जन्म हुआ। ऋक्ष के पुत्र भीमसेन, भीमसेन के पुत्र दिलीप और दिलीप के प्रतीप नामक पुत्र हुये। 🔘 प्रतीप के पुत्र देवापी ,शांतनु और बाह्रीप थे, इनमें से देवापी बाल्यावस्था में ही वन में चले गये थे इसलिए इनके दूसरे पुत्र शांतनु राजा बने। 🔘 बाह्लीक के सोमनाथ नामक पुत्र हुये तथा सोमदत्त के भूरि, भूरिश्वा और शल्य नामक तीन पुत्र हुए। 🔘 शांतनु का विवाह गंगाजी से देवव्रत (भीष्म) और दूसरी पत्नी सत्यवती से चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए।  इनमें से चित्रांगद को बचपन में ही चित्रांगद नामक गन्धर्व ने युद्ध में मार डाला।  🔘 विचित्रवीर्य ने काशी नरेश की पुत्रियों अंबिका और अम्बालिका से विवाह किया। विचित्रवीर्य अत्यंत भोगासक्त रहता था। जिसके कारण उन्हें यक्ष्मा रोग हो गया और उनक...

श्री कृष्ण के वंशज - 4

Image
अनमित्र और अंधक के वंशज 💠अनमित्र के शिनी नामक पुत्र हुआ,शिनी के पुत्र सत्यक और सत्यक से सात्यकि का जन्म हुआ जिसका दूसरा नाम युयुधान था। 💠सात्यकि के पुत्र संजय ,संजय के पुत्र कुणि और कुणि से युगन्धर का जन्म हुआ। ये सब शैनेय नाम से विख्यात हुये। 💠अनमित्र के वंश में ही पृश्नि का जन्म हुआ। पृश्नि के पुत्र श्वफल्क की थे।  श्वफल्क का चित्रक नामक एक छोटा भाई और था।  💠श्वफल्क की पत्नी गांदिनि से अक्रूर जी का जन्म हुआ तथा (एक दूसरी स्त्री से) उपमदगु , मृदामृद , विश्वारि , मेजय , गिरिक्षत्र , उपक्षत्र , शतघ्न , अरिमर्दन , धर्मदृक , दृष्टधर्म , गंधमोज ,वाह और प्रतिवाह नामक पुत्र तथा सुतारानाम्नी नामक कन्या का जन्म हुआ। 💠देववान् और उपदेव ये दो अक्रूर जी के पुत्र थे तथा श्वफल्क के छोटे भाई चित्रक  के पृथु ,विपृथु आदि अनेक पुत्र थे।  इनमें से कुकुर, भजमान ,शुचिकम्बल और बार्हिष ये चार अंधक के पुत्र थे। 💠इनमें से कुकुर के पुत्र धृष्ट, धृष्ट के पुत्र कपोतरोमा ,कपोतरोमा के पुत्र विलोमा, तुम्बुरु के मित्र अनु का जन्म हुआ।  💠अनु के पुत्र आनकदुंदुभि, आनकदुंदुभि के पुत्र अभिजी...

श्री कृष्ण के वंशज - 3

Image
ययाति के पुत्र यदु का वंश  💠 ययाति के पुत्र यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टु, नल और नहुष नामक चार पुत्र हुए। सहस्त्रजित के पुत्र शतजित, शतजित के हैहय, हेहय और वेणुहय नामक तीन पुत्र हुए।  💠 हैहय के पुत्र धर्म , धर्म के पुत्र धर्मनेत्र, धर्मनेत्र के पुत्र कुंति, कुंति के पुत्र सहजित तथा सहजित के पुत्र महिष्मान थे, जिन्होंने महिष्मति पुरी को बसाया।  💠महिष्मान के पुत्र भद्रश्रेण्य, भद्रश्रेण्य के पुत्र दुर्दम, दुर्दम के पुत्र धनक,धनक के कृतवीर्य, कृताग्नि, कृतधर्म और कृतौजा नामक चार पुत्र हुए। 💠कृतवीर्य के सहस्त्र भुजाओं वा ले अर्जुन (सहस्त्रर्जुन) का जन्म हुआ।  💠 अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) के 100 पुत्रों में शूर, शूरसेन, वृषसेन, मधु और जयध्वज प्रधान हैं। 💠जयध्वज के पुत्र तालजंघ थे और तालजंघ के 100 पुत्र थे इनमें सबसे बड़े वीतिहोत्र और दूसरा भरत था।  💠भरत के पुत्र वृष, वृष के पुत्र मधु और मधु के वृष्णि आदि 100 पुत्र थे। वृष्णि के कारण यह वंश वृष्णि कहलाया। मधु के कारण इसकी मधु संज्ञा हुई और यदु के नाम से इस वंश के लोग यादव कहलाये। 💠...

श्री कृष्ण के वंशज - 2

Image
ययाति पुत्र अनु का वंश   💠ययाति के चौथे पुत्र अनु के सभानल, चक्षु और परमेषु नामक तीन पुत्र थे। सभानल के पुत्र कालानल, कालानल के पुत्र सृंजय, सृंजय के पुत्र पूरंजय ,पूरंजय के पुत्र जनमेजय, जनमेजय के पुत्र महाशाल ,महाशाल के पुत्र महामना और महामना के उशीनर तथा तितिक्षु नामक दो पुत्र हुए।  💠उशीनर के शिबि, नृग, नर, कृमि और वर्म नामक पाँच पुत्र हुए। उनमें से शिबि के पृषदर्भ , सुवीर , केकय और मद्रक ये चार पुत्र थे।  💠तितिक्षु के पुत्र रुशद्रथ, रुशद्रथ के पुत्र हेम, हेम के पुत्र सूतपा तथा सूतपा के बलि नामक पुत्र हुआ।  💠 इन बलि के क्षेत्र (रानी) में दीर्घतमा नामक मुनि ने अंग, वंग , कलिंग, सुह्य और पौण्ड्र नामक पाँच वालेया क्षत्रिय उत्पन्न हुये। इन पाँच बलि पुत्रों के नाम से पाँच देशों के भी ये ही नाम पड़े।  💠इनमें अंग के पुत्र अनपान, अनपान  के पुत्र  दिविरथ, दिविरथ के पुत्र धर्मरथ और धर्मरथ   के पुत्र  चित्ररथ का जन्म हुआ, जिसका दूसरा नाम रोमपाद था। 💠 इन रोमपाद के मित्र द...

श्री कृष्ण के वंशज - 1

Image
💠विष्णु पुराण के अनुसार नहुष के यति, ययाति, संयाति, आयाति, वियाति और कृति नामक 6 पुत्र हुए। यति ने राज्य की इच्छा नहीं की, इसलिए ययाति ही राजा हुए।  💠ययाति ने शुक्राचार्य जी की पुत्री देवयानी और वृषभपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा से विवाह किया था।  💠देवयानी ने यदु और तुर्वसु को जन्म दिया तथा शर्मिष्ठा ने द्रुह्यु, अनु और पुरु को जन्म दिया।  💠ययाति को शुक्राचार्य जी के श्राप से असमय ही वृद्धावस्था आ गई। फिर क्षमा माँगने पर शुक्राचार्य जी ने ययाति को वृद्धावस्था किसी और को देने की छूट दी।  ययाति ने अपने सभी पुत्रों से अपनी वृद्धावस्था को ग्रहण करने को कहा परन्तु यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु और अनु ने उनकी बात नहीं मानी। तब ययाति ने इन सभी को श्राप दे दिया।  💠अंत में सबसे छोटे पुत्र पुरु ने अपने पिता की वृद्धावस्था ग्रहण कर ली। बहुत समय तक ययाति ने अपने विषय भोगों को भोगते हुये मैं सभी कामनाओं का अंत कर दूँगा। ऐसा सोचते हुए फिर पुरु को उनका यौवन वापसी कर दिया।  💠ययाति ने दक्षिण में यदु को, दक्षिण पूर्व दिशा में तुर्वसु को, पश्चिम में द्रुह्यु को, उत्तर में अन...

महाभारत में कितनी जुड़वां संताने थी ?

☀️ नकुल और सहदेव - महाराज पांडु की पत्नी माद्री और अश्विनी कुमारों की जुड़वां संताने थे। महाराज पाण्डु की दूसरी पत्नी माद्री थी। जिनके दो पुत्र नकुल और सहदेव थे। महाराज पाण्डु के कहने पर कुंती ने दुर्वासा ऋषि द्वारा दिया हुआ मंत्र माद्री को बताया।  जिसका प्रयोग करके माद्री ने अश्विनी कुमारों का आवाह्न किया। जिनसे माद्री को नकुल और सहदेव दो जुड़वा संताने प्राप्त हुई। ☀️ मत्स्य और मत्स्यगंधा (सत्यवती) दोनों जुड़वां थे। इनके पिता उपरिचर और उनकी माँ आद्रिका नाम की अप्सरा थी जो श्राप के कारण मछली के रूप में थी। ☀️ कृप और कृपि - कृपाचार्य और कृपि दोनों जुड़वां भाई बहन थे। इनका पालन पोषण महाराज शांतनु ने किया था।  इनकी माता का नाम नामपदी  और पिता शरद्वान थे। कृपि का विवाह आगे चलकर पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य से हुआ था।