अपनी पत्नी को हल से क्यों छोटा किया बलराम जी ने ?
🏵️ मनु पुत्र शर्याति के सुकन्या नाम की एक कन्या हुई, जिसका विवाह च्यवन ऋषि से हुआ था।
🏵️ शर्याति के पुत्र आनर्त्त और आनर्त्त के रेवत नाम का पुत्र हुआ, जिसने कुशस्थली नाम की पुरी में रहकर आनर्त्त देश का राजभोग किया।
🏵️ रेवत का भी रैवत ककुद्मी नामक पुत्र हुआ, जो अपने सौ भाईयों में सबसे बड़ा था। उसके रेवती नाम की एक कन्या हुई।
🏵️ एक महाराज रैवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्मा जी से पूछा कि यह कन्या किस वर के योग्य हैं। उस समय ब्रह्माजी के समीप हाहा और हूहू नामक दो गंधर्व अतितान नामक दिव्य गान गा रहे थे।
🏵️ वहाँ (गान संबंधी चित्रा, दक्षिणा और धात्री नामक) त्रिमार्ग के परिवर्तन के साथ उनका विलक्षण गान सुनते हुए पृथ्वी पर अनेकों युग बीत गये, लेकिन ब्रह्मलोक में रैवत जी को लगा कि केवल थोड़ा सा समय बिता हैं।
🏵️ गाना समाप्त हो जाने पर रैवत जी ने ब्रह्मा जी से अपनी कन्या के योग्य वर पूछा।
भगवान् ब्रह्मा ने कहा - तुम्हें जो वर पसंद हो उन्हें बताओं "
🏵️ तब रैवत जी ने भगवान् ब्रह्मा जी प्रणाम कर सभी वरों का वर्णन किया और पूछा कि " इसमें से आपको कौन वर पसंद है जिसे मैं यह कन्या दूँ ?
🏵️ इस पर ब्रह्मा जी ने कहा - तुम जिस - जिस वर के बारे में पूछ रहे हो उनमें से अब पृथ्वी पर किसी के पुत्र पौत्र आदि की संताने भी नहीं है। क्योंकि तुम्हें यहाँ गंधर्वों का गान सुनते हुए कई चतुर्युग बीत चुके हैं।
🏵️ इस समय पृथ्वी पर 28 वें मनु का चतुर्युग शुरू हो चुका है और कलयुग का प्रारंभ हो चुका है।
🏵️ अब तुम अकेले ही रह गए हो,यह कन्या किसी योग्य वर को दे दो। इतने समय में तुम्हारे पुत्र आदि सभी की मृत्यु हो चुका है।
तब राजा रैवत ने अत्यंत भयभीत होकर कहा - तो अब मैं इसे किसको दूँ ?
🏵️ तब ब्रह्मा जी ने कहा - तुम्हारी जो कुशस्थली नाम की पुरी थी,अब द्वारकापुरी हो गयी है। वही बलदेव नामक भगवान विष्णु के अंश हैं। तुम यह कन्या बलदेव जी को पत्नी के रूप में दो।
🏵️ रैवत जी ब्रह्म लोक से पृथ्वी पर आये और बलराम जी से अपनी पुत्री रेवती का विवाह कर दिया। रेवती की लंबाई बहुत अधिक थी जिसे बलराम जी ने अपनी हल के अग्र भाग से दबाकर नीची कर ली। तब रेवती भी तत्कालीन अन्य स्त्रियों के समान (छोटे शरीर की) हो गयी।
🏵️ राजा रैवत कन्यादान करके हिमालय तपस्या करने चले गए।
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