राजा जनक के वंशज कौन थे ?
⚫ इक्ष्वाकु के निमी नामक पुत्र थे। उसने एक सहस्त्र वर्ष में समाप्त होने वाले यज्ञ का आरंभ किया।
🔴 वसिष्ठ जी ने निमी को देहहीन होने का श्राप दिया। तब अराजकता के भय से मुनिजनों ने पुत्रहीन राजा के शरीर को अरणि (शमीदण्ड) से मंथा और उससे एक पुत्र का जन्म हुआ।
⚫ जो जन्म लेने के कारण जनक कहलाया। इसके पिता विदेह थे इसलिये यह वैदेह भी कहलाता है और मंथन से उत्पन्न होने के कारण मिथी भी कहा जाता है।
🔵 उसके उदावसु नामक पुत्र हुआ, उदावसु के पुत्र नन्दिवर्द्धन ,नन्दिवर्द्धन के पुत्र सुकेतु, सुकेतु के पुत्र देवरात,देवरात के पुत्र बृहदुक्थ ,बृहदुक्थ के पुत्र महावीर्य , महावीर्य के पुत्र सुधृति , सुधृति के पुत्र धृष्टकेतु, धृष्टकेतु के पुत्र हर्यश्व और हर्यश्व के मनु हुये।
🔴 मनु के पुत्र प्रतीक , प्रतीक के पुत्र कृतरथ , कृतरथ के पुत्र देवमीढ़, देवमीढ़ के पुत्र विबुध ,विबुध के पुत्र महाधृति ,महाधृति के पुत्र कृतरात, कृतरात के पुत्र महारोमा ,महारोमा के पुत्र सुवर्णरोमा ,सुवर्णरोमा के पुत्र ह्रस्वरोमा, ह्रस्वरोमा के सीरध्वज नामक पुत्र हुआ।
🔵 सीरध्वज पुत्र की कामना से यज्ञभूमि को जोत रहे थे इसी समय हल के अग्र भाग में उसके सीता नाम की कन्या उत्पन्न हुई।
🔴 सीरध्वज (जनक) के भाई सांकाश्य नरेश कुशध्वज थे, सीरध्वज के भानुमान नामक पुत्र हुये, भानुमान के पुत्र शतद्युम्न, शतद्युम्न के पुत्र शुचि, शुचि के पुत्र ऊर्जनामा, ऊर्जनामा के पुत्र शतध्वज, शतध्वज के पुत्र कृति,कृति के पुत्र अंजन, अंजन के पुत्र कुरुजित और कुरुजित के पुत्र अरिष्टनेमी हुये।
🔵 अरिष्टनेमी के पुत्र श्रुतायु , श्रुतायु के पुत्र सुपार्श्व, सुपार्श्व के पुत्र सृंजय ,सृंजय के पुत्र क्षेमावी ,क्षेमावी के पुत्र अनेना, अनेना के पुत्र भौमरथ, भौमरथ के पुत्र सत्यरथ, सत्यरथ के पुत्र उपगु, उपगु के पुत्र उपगुप्त ,उपगुप्त के पुत्र स्वागत और स्वागत के पुत्र स्वानंद हुये।
🔴 स्वानंद के पुत्र सुवर्चा ,सुवर्चा के पुत्र सुपार्श्व , सुपार्श्व के पुत्र सुभाष , सुभाष के पुत्र सुश्रुत , सुश्रुत के पुत्र जय, जय के पुत्र विजय, विजय के पुत्र ऋत , ऋत के पुत्र सुनय और सुनय के पुत्र वीतहव्य हुये।
🔵 वीतहव्य के पुत्र धृति,धृति के पुत्र बहुलाश्व और बहुलाश्व के कृति नामक पुत्र हुये। कृति में ही इस जनक वंश की समाप्ति हो जाती है।
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