इक्ष्वाकु के वंशज कौन है ? - 2

मांधाता वंशज

🔴 मांधाता के पुत्र अम्बरीष के युवनाश्व नामक पुत्र हुआ, उससे हारीत नामक पुत्र हुआ,जिससे अंगिरा गोत्रीय हारीतगण हुए।


🔴 युवनाश्व का पुत्र मांधाता , मांधाता के पुत्र पुरुकुत्स है। पुरुकुत्स ने नर्मदा से त्रसद्दस्यु नामक पुत्र उत्पन्न किया। 


🔴 त्रसद्दस्यु का पुत्र अरण्य , जिसे दिग्विजय के समय रावण ने मारा था। अरण्य का पुत्र पृषदश्व ,पृषदश्व का पुत्र हर्यश्व ,हर्यश्व का पुत्र हस्त, हस्त का पुत्र सुमना ,सुमना का पुत्र त्रिधन्वा ,त्रिधन्वा का पुत्र त्रय्यारुणि और त्रय्यारुणि का पुत्र सत्यव्रत था, जो बाद में त्रिशंकु कहलाया।


🔴 त्रिशंकु से प्रसन्न होकर विश्वामित्र जी ने उन्हें सदेह स्वर्ग भेज दिया।


🔴 त्रिशंकु के पुत्र हरिश्चन्द्र, हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहिताश्व, रोहिताश्व के पुत्र हरित, हरित के पुत्र चंचु , चंचु के पुत्र विजय और वसुदेव, विजय के पुत्र रुरुक और रुरुक के पुत्र वृक का जन्म हुआ।


🔴 वृक के बाहु नामक पुत्र हुआ जो हैहय और तालजंघ आदि क्षत्रियों से पराजित होकर अपनी गर्भवती पटरानी के सहित वन में चला गया।


🔴 और्व मुनि के आश्रम में बाहु की पत्नी एक पुत्र को जन्म दिया,जिसका नाम और्व मुनि ने सगर रखा और उसे वेद, शास्त्र एवं भार्गव नामक आग्नेय शस्त्रों की शिक्षा दी।


🔴 राजा सगर की पत्नी सुमति को असमंजस नामक एक पुत्र और केशिनी को 60,000 पुत्र उत्पन्न हुये।

राजा सगर अपने 60,000 पुत्रों के द्वारा खोदे गए सागर को महाराज ने स्नेहवश अपना पुत्र माना।


🔴 महाराज सगर के पौत्र अंशुमान थे,अंशुमान के पुत्र दिलीप और दिलीप के पुत्र भगीरथ थे। इन्होंने गंगाजी को पृथ्वी पर लाकर उनका नाम भागीरथी कर दिया।


🔴 भगीरथ के पुत्र सुहोत्र, सुहोत्र के पुत्र श्रुति ,श्रुति के पुत्र नाभाग ,नाभाग के पुत्र अम्बरीष ,अम्बरीष के पुत्र सिंधुद्वीप ,सिंधुद्वीप के पुत्र अयुतायु और अयुतायु के पुत्र ऋतुपर्ण हुआ जो राजा नल का सहायक और द्यूतक्रीडा का पारदर्शी था।


🔴 ऋतुपर्ण का पुत्र सर्वकाम था, सर्वकाम के पुत्र सुदास और सुदास का पुत्र सौदास मित्रसह हुआ।


🔴 सौदास के पुत्र अश्मक हुए, अश्मक के पुत्र  मूलक थे। जब परशुराम जी यह पृथ्वी से क्षत्रिय हीन किया जा रहा था तब मूलक की रक्षा वस्त्रहीन स्त्रियों ने घेरकर की थी, जिससे इन्हें नारीकवच भी कहते है। 


🔴 मूलक के पुत्र दशरथ, दशरथ के पुत्र इलिविल, इलिविल के पुत्र विश्वसह और विश्वसह के खटवांग नामक पुत्र हुआ। 


🔴 खटवांग के दीर्घबाहु नामक पुत्र हुआ,दीर्घबाहु के पुत्र रघु,रघु के पुत्र अज और अज के पुत्र दशरथ,दशरथ के पुत्र राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न नामक चार पुत्र हुए।


🔴 भगवान राम के कुश और लव नामक पुत्र, लक्ष्मण के पुत्र अंगद और चंद्रकेतु, भरत के पुत्र तक्ष और पुष्कल, शत्रुघ्न के सुबाहु और शूरसेन नामक पुत्र हुए।


🔴 कुश के पुत्र अतिथि , अतिथि के पुत्र निषध ,निषध के पुत्र अनल, अनल के पुत्र नभ, नभ के पुत्र पण्डरीक ,पण्डरीक के पुत्र क्षेमधन्वा ,क्षेमधन्वा के पुत्र देवानीक के पुत्र अहीनक, अहीनक के पुत्र रूरू हुये।


🔴 रूरू के पुत्र पारियात्रक, पारियात्रक के पुत्र देवल, देवल के पुत्र वच्चल ,वच्चल के पुत्र उत्क, उत्क के पुत्र वज्रनाभ ,वज्रनाभ के पुत्र शंखण, शंखण के पुत्र युषिताश्व और युषिताश्व के विश्वसह नामक पुत्र हुआ। 


🔴 विश्वसह के हिरण्यनाभ नामक पुत्र हुआ,जिसने जैमिनि के शिष्य याज्ञवल्क्य जी से योगविद्या प्राप्त की थी। 


🔴 हिरण्यनाभ के पुत्र पुष्य, पुष्य के पुत्र ध्रुवसंधि, ध्रुवसंधि के पुत्र सुदर्शन, सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्ण, अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग तथा शीघ्रग के पुत्र मरू हुए जो इस समय भी योगाभ्यास में कलापग्राम में स्थित है।


🔴 मरू के पुत्र प्रसुश्रुत,प्रसुश्रुत के पुत्र सुसंधि ,सुसंधि  के पुत्र अमर्ष ,अमर्ष  के पुत्र सहस्वान, सहस्वान के पुत्र विश्वभव तथा विश्वभव के पुत्र बृहद्वल हुए जिसको महाभारत युद्ध में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने मारा था।

ये सभी इक्ष्वाकु वंश के खास - खास राजा हैं।

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