पूरंजय का ककुत्स्थ नाम क्यों पड़ा ?

पूरंजय का एक दूसरा नाम पड़ा। त्रेतायुग में एक बार अति भीषण देवासुर संग्राम हुआ।

जिसमें देवताओं ने अपनी पराजय के बाद भगवान विष्णु की आराधना की,तब विष्णु जी ने प्रसन्न होकर कहा कि राजा शशाद के पुत्र पूरंजय के माध्यम से मैं (विष्णु) सभी दैत्यों का नाश कर दूंगा। 


जब ये बातें पूरंजय को देवताओं ने बतायी तब पूरंजय ने देवराज इंद्र के वृषभ रूप के कंधे पर चढ़कर शत्रुओं का अन्त किया , जिसके कारण उसका नाम ककुत्स्थ पड़ा।

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