मनु के वंशज कौन थे ?

वैवस्वत मनु के वंशज

⚫ भगवान ब्रह्मा जी सबसे पहले प्रकट हुए। ब्रह्माजी के दाएं अंगूठे से दक्ष प्रजापति हुए, दक्ष से अदिति का जन्म हुआ, अदिति से विवस्वान का जन्म हुआ और विवस्वान से मनु का जन्म हुआ।


⚫ मनु के इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त , प्रांशु, नाभाग , दृष्ट , करूष और पृषध्र नामक दस पुत्र हुए।


⚫ मनु ने पुत्र की इच्छा से मित्रावरुण नामक दो देवताओं के यज्ञ का अनुष्ठान किया।


⚫ जिससे मनु सुद्युम्न नामक पुत्र हुआ। फिर महादेव जी के गुस्से के कारण वह इला नामक स्त्री हो गई जिसका विवाह बुध से हो गया। फिर इनका पुरुरवा नामक पुत्र हुआ। 


⚫ पुरुरवा के जन्म के बाद इला फिर से सुद्युम्न हो गई और सुद्युम्न के भी उत्कल, गय और विनत नामक तीन पुत्र हुए। पहले स्त्री होने के कारण सुद्युम्न को राज्याधिकार प्राप्त नहीं हुआ।


⚫ वशिष्ठ जी के कहने पर उनके पिता ने प्रतिष्ठान नामक नगर पुरुरवा को दे दिया। पुरुरवा की सन्तान सभी दिशाओं में फैले हुए क्षत्रिय गण हुए।


⚫ मनु का पृषध्र नामक पुत्र गुरु की गौ का वध करने के कारण शूद्र हो गया। मनु का पुत्र करूष था, करूष से करूष नामक महाबली और पराक्रमी क्षत्रियगण उत्पन्न हुए।


⚫ दिष्ट का पुत्र नाभाग वैश्य हो गया था, उससे बलंधन नाम का पुत्र हुआ। बलंधन का पुत्र वत्सप्रीति, वत्सप्रीति का पुत्र प्रांशु और प्रांशु का प्रजापति नामक इकलौता पुत्र हुआ।


⚫ प्रजापति के पुत्र खनित्र ,खनित्र के पुत्र चाक्षुष तथा चाक्षुष के पुत्र विंश ,विंश के पुत्र विविंशक, विविंशक के पुत्र खनिनेत्र ,खनिनेत्र के पुत्र अतिविभूति, अतिविभूति के पुत्र करंधम, करंधम के पुत्र अविक्षित और अविक्षित के मरुत्त नामक पुत्र हुआ।


⚫ जिसके बारे में कहते हैं " मरुत्त जैसा यज्ञ हुआ था वैसा इस पृथ्वी पर और किसका हुआ, जिसकी सभी याज्ञिक वस्तुएँ सुवर्णमय और अति सुंदर थी। उस यज्ञ में इंद्र सोमरस से और ब्राह्मणगण दक्षिणा से तृप्त हो गये थे, तथा उसमें मरुदगण परोसने वाले और देवगण सदस्य थे "


⚫ मरुत्त के नारिष्यन्त नामक पुत्र हुए,नारिष्यन्त के पुत्र दम, दम के राजवर्द्धन नामक पुत्र हुआ।


⚫ राजवर्द्धन के पुत्र केवल और केवल के पुत्र सुधृति थे। सुधृति के पुत्र नर, नर के पुत्र चंद्र और चंद्र के पुत्र केवल थे।


⚫ केवल के पुत्र बंधुमान, बंधुमान के पुत्र वेगवान, वेगवान के पुत्र बुध, बुध के पुत्र तृणबिंदु तथा तृणबिंदु से इलविला नाम की कन्या हुई थी। 


⚫ लेकिन बाद में अलंबुषा नामक एक अप्सरा उन पर मोहित हो गई, जिससे तृणबिंदु को विशाल नामक पुत्र हुआ, जिसने विशाला नाम की पुरी बसायी।


⚫ विशाल का पुत्र हेमचंद्र हुआ, हेमचंद्र का पुत्र चंद्र, चंद्र का पुत्र धूम्राक्ष , धूम्राक्ष का पुत्र सृंजय ,सृंजय का पुत्र सहदेव और सहदेव का पुत्र कृशाश्व हुआ।


⚫ कृशाश्व के सोमदत्त नामक पुत्र हुआ, जिसने सौ अश्वमेध यज्ञ किये थे। उससे जनमेजय हुआ और जनमेजय से सुमति का जन्म हुआ। ये सभी विशालवंशीय राजा हुए।

इनके विषय में ऐसे प्रसिद्ध है " तृणबिंदु के प्रसाद से विशालवंशीय सभी राजा दीर्घायु, महात्मा, वीर्यवान और अति धर्मपरायण हुए।

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