डचों का भारत में आगमन
(१) 17 वीं शताब्दी के शूरुआत तक डच भी भारत में व्यापार के उद्देश्य से आए। कुछ ही समय बाद फ्रांसिसी व्यापारी भी भारत आए। सभी कंपनियां एक जैसी चीजें ही खरीदना चाहती थी।
(२) यूरोप के बाजारों में भारत के बने बारीक सूती वस्त्र, रेशम ,कालीमिर्च, दालचीनी, लौंग और इलायची की बहुत मांग थी। यूरोपियन कंपनियों के बीच इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा से भारतीय बाजार में इनकी कीमतें बढ़ने लगी और इससे मिलने वाला मुनाफा घटने लगा।
(३) अब इन व्यापारिक कंपनियों को अपना मुनाफा बनाए रखने के लिए,17 वीं और 18 वीं सदी में जब भी मौका मिलता कोई भी कंपनी किसी दूसरे के जहाजों को डूबा देते थे या रूकावटे डाल देते थे।
(४) 18 वीं सदी के उत्तरार्ध तक अंग्रेज राजनैतिक ताकत के रूप में उभरने लगे।
(५) अंग्रेज पहले छोटी सी व्यापारिक कंपनी के रूप में भारत आए ।
(६) औरंगजेब के बाद कोई भी मुगल शासक इतना ताकतवर तो नहीं था, लेकिन एक प्रतिक के रूप में मुगल बादशाहों का महत्व बना हुआ था।
(७) 1857 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरु हो गया तो विद्रोहियों ने बहादुर शाह ज़फ़र को ही अपना नेता मान लिया।
(८) जब विद्रोह को समाप्त कर लिया गया, तब बहादुर शाह ज़फ़र को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया और उनके बेटों को उसके सामने ही मार डाला गया
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