ताजमहल से जुड़े कुछ सत्य तथ्य
1) पुरुषोत्तम नागेश ओक के अनुसार ताजमहल के नाम का उल्लेख औरंगजेब के किसी भी दस्तावेज या दरबारी दस्तावेजों में कहीं भी नहीं मिलता है।
2) ताजमहल में महल इस्लामी शब्द नहीं है क्योंकि अफगानिस्तान से लेकर अलजीरिया तक फैले विस्तृत इस्लामी प्रदेशों में महल नाम की एक भी इमारत नहीं है।
3) शाहजहां का दरबारी वृत्त शाहजहांनामा के खंड 1 के पेज 403 पर लिखा है कि अतुलनीय वैभवशाली गुंबदयुक्त एक प्रासाद की इमारत - ए - आलीशान था। गुंबजे मुमताज को दफनाने के लिए जयपुर के महाराजा मानसिंह से लिया गया (राजा मानसिंह को प्रासाद के नाम से जाना जाता था।)।
4) अपने पिता शाहजहां को लिखा औरंगजेब का एक पत्र आदाबे आलमगीरी, यादगारनामा और मुरक्का - ई अकबराबादी (सईद अहमद आगरा संपादित, सन् 1931, पृष्ठ 43, फुटनोट 2) में है।
(5) सन् 1652 के उस पत्र में औरंगजेब ने खुद लिखा है कि मुमताज की कब्र परिसर की इमारतें सात मंजिलों वाली थी और वे इतनी पुरानी हो गई थी कि उनमें से पानी टपकता था और गुंबद के दरार पड़ी थी।
(6) औरंगजेब ने खुद अपने खर्चे से उन भवनों को तत्काल मरम्मत करने की आज्ञा देकर शाहजहां को सूचित किया कि इन भवनों की मरम्मत की जाए।
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