दुर्गा देवी वोहरा भाग - 4

गिरफ्तारी और मृत्यु 

12 सितंबर, 1931 को दुर्गा देवी वोहरा को लाहौर से गिरफ्तार कर लिया गया। 


भगत सिंह राजगुरू और सुखदेव की फांसी और आजाद की शहादत के बाद पार्टी काफ़ी बिखर गई। इसके बाद दुर्गा देवी अपने बेटे को लेकर दिल्ली आ गई। पुलिस ने उन्हें वहां भी परेशान किया और वे लाहौर आ गई, जहां पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया और इन्हें तीन साल तक के लिए नजरबंद कर दिया गया। 

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के असेंबली में बम फेंकने जाने से पहले, उनको दुर्गा देवी और सुशीला मोहन ने अपने रक्त से टीका लगाकर भेजा था और असेंबली के बाहर दुर्गा देवी अपने बेटे (शचिंद्र) को गोद में लेकर खड़ी रही।

फिर उन्हे बंबई गोली कांड में तीन साल की सजा हुई और उन्हें फरार होना पड़ा। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों की वजह से उन्हें " जिलाबदर " कर दिया गया।


1935 में दुर्गा देवी गाजियाबाद चली आई और प्यारेलाल कन्या विद्यालय में अध्यापिका की हैसियत से काम करने लगी। 

1937 में दिल्ली " प्रदेश कांग्रेस कमेटी " की अध्यक्ष बनी लेकिन स्वास्थ के कारणों से उन्होंने 1937 में ही कांग्रेस त्याग दिया।


सरकार ने उनके दिल्ली के दो और लाहौर के तीन मकान ने जब्त कर लिए। 


1939 में वो मद्रास चली गई और वहां उन्होंने "मारिया मॉनटेसरी " से मॉनटेसरी शिक्षा पद्धति का प्रशिक्षण लिया। फिर 1940 में, लखनऊ में उन्होंने कैंट रोड नजीराबाद पुराना किला के पास एक निजी मकान में मात्र पांच बच्चों के साथ "मॉनटेसरी स्कूल" खोला जो आज भी "मॉनटेसरी इन्टर कॉलेज" के नाम से जाना जाता है। 

दुर्गा देवी वोहरा की मृत्यु 15 अक्टूबर, 1999 को गाजियाबाद में हुई थी।

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