प्रीतीलता वादेदार भाग - 2
आई आर ए में शामिल होना
अंग्रेजों ने प्रीतिलता के क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने का कारण देकर उनकी डिग्री रोक दी। इसके बाद वे चटगांव लौट आयी और एक बालिका विद्यालय में पढ़ाने लगी।
सन् 1922 के बीच में उनकी मुलाकात सुर्यसेन से हुई, जिन्हें "मास्टर दा" भी कहते थे। "मास्टर दा" से प्रीतिलता ने बन्दूक चलाने का प्रशिक्षण लिया था। वे प्रीतीलता की देशभक्ति की भावना से काफ़ी प्रभावित हुए और उन्हें क्रांतिकारी संगठन में शामिल होने के लिए कहा।
18 अप्रैल 1930 को अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए " इंडियन रिपब्लिकन आर्मी" (आईआरए) का गठन हुआ।
"आईआरए " महिलाओं को अपने ग्रुप में शामिल करने के खिलाफ था। प्रीतिलता के काफी संघर्ष के बाद "आईआरए " में शामिल हो पायी।
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