2500 साल पुराना केसर, केसर के संस्कृत ,उर्दू ,बंगाली और पंजाबी में नाम

केसर का इतिहास 2500 साल पुराना है।



कुछ लोगों का मानना है कि 500 BC में पर्सिया के शासक ने कश्मीर पर जीत हासिल करने के बाद भारत में केसर का परिचय कराया था।

केसर पहले कश्मीर के पंपोर में उगता था।फिर 14 वीं शताब्दी के बाद केसर कश्मीर में कई जगहों पर उगने लगा।
 



 कश्मीर के पंडित मुहम्मद युसुफ तेंग ने कहा कि कश्मीर की घाटी में केसर 250,000 साल से है और हिन्दुओं की प्राचीन किताब में  इसका जिक्र है। भारत में पुराने जमाने में केसर का टीका धन का प्रतीक माना जाता था। भारत में राजा ,महाराजाओं के कपड़ों को केसर से रंगवाया जाता था। उस समय ये बहुत ही महंगा रंग था।

संस्कृत में केसर के नाम -

केसरम, कुमकुम, अरुणा, असरा, असरिका आदि नाम से जानते है। पंजाबी, उर्दू और बंगाली में इसे जाफरान कहते है।

 केसर का दाम -

ब्रिटेन के वॉल्टर लॉरेन ने अपनी किताब (Value of Kashmir) में लिखा है कि 1920 के आस पास केसर का दाम होता था 1 तोला यानी 1 रूपए में 11.3gm ।
केसर को रजिस्टर डाक द्वारा भारत के बाकी हिस्सों में भेजा जाता है।
उस समय में 1 तोला सोना लगभग 50 से 60 रूपए में आता था।

आयुर्वेद में केसर

आयुर्वेद और इसकी चिकित्सा पद्धति के अनुसार केसर की तासीर गर्म होती हैं जो ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। जिसकी वजह से केसर एक इफ्रोडिशियास भी है। लगभग 10 बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है।


1819 में कश्मीर को जीतने के बाद महाराजा रंजीत सिंह इसे पंजाब के खान पान में लेे कर आए।

भारत में केसर की खेती -



भारत में 5000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर केसर के खेत है जिसमें से 80% खेत जम्बू- कश्मीर में है। हर साल भारत में 16000 किलो केसर पैदा होता हैं।


केसर को निर्यात भी किया जाता हैं।

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