वेदव्यास ने अर्जुन की आभीरों से हार का क्या कारण बताया ?
जब अर्जुन वेदव्यास जी के पास गये तब उन्होंने अपनी अहीरों (आभीरों) से हुई पराजय के बारे में बताया, तब व्यास मुनि ने अर्जुन को श्री कृष्ण की स्त्रियों के हरण का कारण बताया।
उन्होंने बताया कि एक बार पूर्वकाल में अष्टावक्र जी सनातन ब्रह्मा जी की स्तुति करते हुए अनेकों वर्ष तक जल में रहे। उसी समय दैत्यों पर विजय प्राप्त करने से देवताओं ने सुमेरु पर्वत पर एक महान उत्सव किया।
उसमें सम्मिलित होने के लिए जाती हुई रंभा और तिलोत्तमा आदि सैंकड़ों हजारों देवांगनाओं ने मार्ग में उन मुनिवर को देखकर उनकी अत्यंत स्तुति और प्रशंसा की। वे देवांगनाओं उन जटाधारी मुनिवर को गले तक जल में डूबे देखकर, जिस प्रकार वे अष्टावक्र जी प्रसन्न हो उसी प्रकार वे अप्सराएँ उनकी स्तुति करने लगी।
इसके बाद अष्टावक्र जी ने उनसे कहा जो इच्छा हो वे माँग लो, मैं पूर्ण करूँगा। तब तिलोत्तमा , रंभा और अन्य प्रसिद्ध अप्सराओं ने कहा कि आपके प्रसन्न होने से हमें क्या मिलेगा।
लेकिन अन्य अप्सराओं ने कहा कि "यदि भगवान हम पर प्रसन्न हैं तो हम साक्षात् भगवान् को पति रूप में प्राप्त करना चाहती है। ऐसा ही होगा अष्टावक्र जी ने कहा।
जब अष्टावक्र जी पानी से बाहर आये तब वे अप्सराएँ उनके आठ स्थानों से टेढ़े कुरूप शरीर पर हँसने लगी।
तब अष्टावक्र जी ने उन्हें श्राप दिया कि "मुझे कुरूप देखकर तुमने हँसते हुए मेरा अपमान किया है, इसलिये मैं तुम्हें यह श्राप देता हूँ कि मेरी कृपा से भगवान् को पतिरूप में पाकर भी तुम मेरे शाप के कारण लुटेरों के हाथ पड़ोगी।"
मुनि का श्राप सुनकर सभी अप्सराओं ने क्षमा मांगी तब अष्टावक्र जी ने कहा उसके बाद तुम स्वर्ग को चली जाओगी।
इसके बाद पाण्डवों ने परीक्षित का राज्याभिषेक किया और द्रौपदी सहित सभी पाँचो भाई वन चले गये।
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