रुक्मिणी जी की मृत्यु कैसे हुई ?

कृष्ण, बलराम आदि का अंतिम संस्कार 

द्वारका के समुद्र में डूबने के बाद अर्जुन ने बलराम जी, कृष्ण जी तथा अन्य मुख्य मुख्य यादवों के मृत देहों की खोज करा के सभी का अंतिम संस्कार किया।


कृष्ण जी की रानियों का सती होना 

भगवान कृष्ण की अपने धाम जाने के बाद रुक्मिणी आदि आठ पटरानियों ने कृष्ण जी के शरीर का आलिंगन कर के अग्नि में प्रवेश किया और सती हो गई।

बलराम जी की पत्नी रेवती जी ने भी अपने पति के शरीर का आलिंगन कर के अग्नि में प्रवेश किया।

वसुदेव आदि का देहत्याग 

इन सभी अनिष्टों का सामाचार सुनते ही उग्रसेन, वसुदेव, देवकी और रोहिणी जी ने भी अग्नि में प्रवेश करके अपने प्राण त्याग दिये। उसके बाद अर्जुन उन सबका विधिपूर्वक अंतिम कर्म करके बाकी बचे स्त्रियों और सभी द्वारकावासियों को धन, धान्य सम्पन्न पंचनद (पंजाब) देश में बसाया।


इसके बाद पाण्डवों ने परीक्षित का राज्याभिषेक किया और द्रौपदी सहित सभी पाँचो भाई वन चले गये।।

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