श्री कृष्ण और नरकासुर का युद्ध क्यूँ हुआ ?
💜 एक बार देवराज इंद्र कृष्ण जी से मिले और नरकासुर के सभी अत्याचारों के बारे में बताया। नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा था।
💜 उसने देवता, सिद्ध, असुर और राजा आदि की कन्याओं को बलपूर्वक हर कर अपने महल में रखा था। इस असुर ने वरुण देव का जल बरसाने वाला छत्र और मंदराचल का मणिपर्वत का योग भी हर लिया है। उसने देवराज इंद्र की माता अदिति के तीनों दिव्य कुंड ले लिये और अब ऐरावत हाथी लेना चाहती था।
💜 श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुण पर सवार होकर प्रागज्योतिषपुर गए।
प्रागज्योतिषपुर के चारों ओर पृथ्वी सौ योजना मूर दैत्य के बनाये हुये छुरे की धार के समान अति तीक्ष्ण पाशों से घिरी हुई थी।
💜 भगवान ने उन पाशों को सुदर्शन चक्र से काट दिया। श्री कृष्ण ने मुर, उनके 7000 पुत्र, हयग्रीव और पंचजन आदि को भी मार डाला।
प्रागज्योतिषपुर में प्रवेश करने पर उनका नरकासुर से युद्ध हुआ और श्री कृष्ण ने सुदर्शन से नरकासुर के दो टुकड़े कर दिए।
💜 श्री कृष्ण ने नरकासुर (भौमासुर) को मारकर उसके पुत्र भगदत्त को वहां का राजा बना दिया और उसकी क़ैद से 16100 कन्याएँ, चार दाँतों वाले 6000 गज और 21 लाख काम्बोज देशी घोड़ों को द्वारका ले आये। माता अदिति के दोनों दिव्य कुंडल, वरुण देव का छत्र और मणिपर्वत नामक शिखर भी ले आये।
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