वीरमती

एक ऐसी वीर स्त्री जिसने अपने होने वाले पति को अपने हाथों से मार दिया, क्योंकि उसने मातृभूमि से गद्दारी की थी 

देवगिरि के राजा रामदेव थे और इनकी पुत्री का नाम गौरी था। वीरमती के माता पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी थी। जिसके बाद रामदेव ने ही वीरमती का पालन पोषण अपनी सन्तान की तरह किया था। वीरमती और गौरी में आपस में बहुत प्रेम था।

रामदेव ने वीरमती की सगाई कृष्णराव से कर दी।

अलाउद्दीन ने देवगिरि पर आक्रमण कर दिया ,रामदेव के साथ कृष्णराव भी सेना सहित युद्ध के लिए गए, बहुत भयंकर युद्ध हुआ।

अलाउद्दीन अपनी एक चाल के तहद युद्ध क्षेत्र से भाग गया और फ़िर कृष्णराव ने कहा कि अभी जाकर देखता हूं। कृष्णराव धोखेबाज निकला और अलाउद्दीन से जाकर मिल गया। कृष्णराव ने उसे सेना के सभी भेद बता दिये।

कृष्णराव की जानकारी के बिना ही वीरमती भी मर्दाने भेष में इस युद्ध में उपस्थित थी। जब कृष्णराव अल्लाउद्दीन के पिछे गया तो वीरमती भी छुपकर उसके पिछे चली गई।

जब अलाउद्दीन और कृष्णराव आपस में बातें कर रहे थे ,तब वीरमती ने उनकी सारी बातें सुन ली। कृष्णराव की गद्दारी का पता चलते ही, वीरमती ने कृष्णराव को तलवार भोंक दी और खुद की भी जान ले ली।

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