फूलमती (फुलदेवी)
औरंगजेब के अत्याचार से आतंकित एक आम स्त्री
देवल गाँव में एक विधवा वृद्ध स्त्री की एक मात्र कन्या फूलमती थी। वह पुरन्दर नाम के युवक से प्रेम करती थी। दोनों गाँव की पाठशाला में एक साथ पढ़ते थे। फूलमती की माँ ने पुरन्दर के साथ फूलमती का विवाह पक्का कर दिया।
एक बार औरंगजेब ने फूलमती को देखा और फूलमती पर मोहित हो गया।औरंगजेब ने अपने सैनिकों को गाँव भेजकर,फूलमती का अपहरण करा लिया। औरंगजेब के पास आने के बाद फूलमती का नाम बदलकर फूलजानी बेगम कर दिया और उससे जबरदस्ती विवाह कर लिया।
कोई रास्ता न देखकर फूलमती ने पुरन्दर को एक पत्र लिखा और एक विश्वास पात्र दासी के द्वारा उसे पुरन्दर तक पहुंचा दिया। पत्र पढ़कर पुरन्दर फूलमती से मिलने महल में आया।
जब औरंगजेब को पता चला कि पुरन्दर महल में है,तो उसने सैनिकों को उसे बंदी बना कर लाने की आज्ञा दी। पुरन्दर जब औरंगजेब के सामने लाया गया,तब उसका शरीर तीरों से छल्ली था। औरंगजेब ने पुरन्दर से अपने आगे झुकने को कहा, लेकिन पुरन्दर ने इंकार कर दिया।
इसके बाद पुरन्दर को औरंगजेब ने मृत्युदंड दे दिया। जब यह ख़बर फूलमती तक पहुंची तब, फूलमती औरंगजेब के सामने ही कटार लेकर आयी और भरी सभा में ही अपने सीने में उतार दिया। फूलमती और पुरन्दर दोनों की वहीं मृत्यु हो गई।

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