रानीबाई
अपने पति की मृत्यु के बाद जौहर करने वाली
महाराजा दाहिर की राजधानी आलोर नगर में थी। उनके पुत्र का नाम जयसिंह था और इन्हीं की पत्नी का नाम रानीबाई था।
सन् 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम ने बगदाद के खलीफा का आदेश पाकर हिन्दुस्तान पर हमला कर किया। देवल को उजाड़ कर उसने वीरान कर दिया, मंदिरों की पवित्रता नष्ट कर दी।
उसके बाद कासिम नैरन पहुंचा और एक बहुत बड़ा बेड़ा तैयार करवा कर, उसने सिंध नदी पार करने की योजना बनायी। राजा दाहिर ने उसका सामना करने के लिए सेना तैयार की। उसकी राजधानी आलोर नगर में थी, लेकिन वह रावार के दुर्ग से हमला करना सही समझते थे।
वह अपने पुत्र जयसिंह और उसकी पत्नी रानीबाई को लेकर रावार के किले में चले गये। दाहिर और उसके ठाकुरों ने युद्ध किया। जयसिंह भी हाथी से उतर कर युद्ध करने लगा, लेकिन शाम होते - होते वह मारा गया।
जब रानी को पति की मृत्यु का समाचार मिला, तब 15000 सैनिकों को लेकर रानी ने यवनों पर हमला कर दिया और भयानक युद्ध होने लगा, लेकिन रानी ज्यादा देर तक अरबों के सामने न ठहर सकी। अरबों ने किले पर कब्ज़ा कर लिया।
इसके बाद रानीबाई ने बाकी महिलाओं के साथ अपने आप को अग्नि में झोंक दिया (जौहर कर लिया)।

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