रानी प्रभावती
सती प्रभावती गुन्नौर के राजा की पत्नी थी। वह बहुत ही सुंदर और गुणवान थी। रानी की सुंदरता के चर्चे सुनकर यवन के राजा ने गुन्नौर पर हमला कर दिया। रानी बड़ी वीरता से लड़ी। बहुत से राजपूत और यवन सैनिक मारे गए।
जब थोड़ी सी सेना बच गई, तब रानी गुन्नौर किले से नर्मदा किले में चली गयी। गुन्नौर पर यवनों का आधिपत्य स्थापित हो गया। यवन सेना ने रानी का पीछा किया लेकिन रानी ने फाटक बंद करवा दिया।
दरवाजे के बाहर अपने सेना के साथ खड़े यवन राजा ने रानी को पत्र लिखकर उन्हें भिजवाया। उस पत्र में लिखा था ' तुम आत्मसमर्पण कर दो और मुझसे विवाह कर लो। मैं तुम्हारा राज्य लौटा दूंगा और तुम्हारे दास की तरह रहूंगा।'
रानी ने कूटनीति की दृष्टि से उस पत्र का उत्तर भेजा, जिसमें लिखा था "मैं विवाह करने के लिए तैयार हूं, लेकिन विवाह में पहनने के लायक पोशाक आपके पास नहीं है, मैं दुल्हे के पहनने के योग्य कपड़े आपको भेजती हूं, आप उसी को पहनकर अन्दर आए।"
यह पत्र पढ़कर यवन राजा बहुत खुश हुआ। दूसरे दिन रानी ने दुल्हे की पोशाक भेज दी और यवन राजा पोशाक पहनकर शादी के लिए महल के अंदर गया।
उस दुल्हे की पोशाक को रानी ने विष से डूबे रंगों से रंगवाया था। इसे पहनने के कारण यवन राजा की तड़प तड़प कर मृत्यु ,महल में ही हो गई और रानी ने नर्मदा नदी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।

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