चाँदी का इतिहास
पहली बार चांदी कि खुदाई
इतिहासकारों के अनुसार पहली बार चांदी की खुुुुदाई 300 BC में तुर्की में हुई थी।उस वक्त इस जगह को अनाटोलिया (Anatolia) कहा जाता था।

चांदी की खदान
वे लोग चांदी का खनिज निकालते थे और फिर उसे शुद्ध किया जाता था। शुरु में ये बहुत मुश्किल होता था।
फिर 2500 BC में मैसिनियन सभ्यता के लोगों ने चांदी को पौराणिक विधि से विकसित किया जिसे क्यूपलेसन (Cupellation) कहा जाता था।

ग्रीस में चांदी की खद्दाने
400 BC के आस - पास ग्रीस में एथेन्स (Athens) के पास लॉरियम (Laurium) में चांदी की बहुत बड़ी खद्दाने मिली।
इन खद्दानो से निकलने वाली चांदी धीरे-धीरे एसिया माइनर में अनाटोलिया (Anatolia) और इटली की सर्डिनिया (Sardinia) में अपनी चमक की वजह से प्रसिद्ध होने लगी।
1200 BC में तुर्की की खद्दाने खत्म होने के बाद, पहली शताब्दी AD तक लॉरियम (Laurium) की खद्दाने दुनिया की नंबर वन चांदी की खद्दाने बनी रही।
चांदी का पहला सिक्का
7 वी शताब्दी में पहली बार सेंट्रल तुर्की के शहर लिडिया (Lydia) में चांदी के सिक्के बने और यहीं पहली बार चांदी के सिक्कों के खरीदारी परम्परा भी शुरु हुई।जिसे कुछ सालों बाद ग्रीस (Greece) ने अपनाया ।
भारत का पहला चांदी का सिक्का
इतिहासकारों के अनुसार भारत का चांदी का सिक्का 4 वीं शताब्दी BC में बना था इसे शक् राजाओं ने उस समय के भारत में आने वाले रोमन व्यापारियों से भारतीय मसालों और हस्तलिपि बेेच कर कमाई थी।
रुपए को रुपया क्यों कहते है ?
संस्कृत में एक शब्द है रूप्यकं (रूप्यकं = चांदी का सिक्का) इसका मतलब होता है चांदी का सिक्का।
माना जाता है कि इस शब्द रूप्यकं की वजह से ही दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी ने 1526 में जब चांदी का सिक्का जारी किया था तब उसे रूपए का नाम दिया गया।

प्राचीन भारत में चांदी की कीमत
प्राचीन भारत में चांदी की कीमत हमेशा दो वजहों से तय होती थी।
पहला - चांदी खद्दानो से कितनी मात्रा में निकल रही है।
दूसरा - उसकी मांग कितनी है ?
तुर्की में चांदी की खद्दान थी और ग्रीस में मांग थी, इस वजह से ग्रीस में चांदी महंगी थी।
चीन में चांदी का सिक्का
चीन के मिंग वंश (Ming Dynasty) ने भी 14 वीं और 15 वीं शताब्दी में अपने मुद्रा को कागज़ की जगह चांदी में बदलने का फैसला किया।

अमेरिका और मैक्सिको की खद्दाने
16 वीं शताब्दी से 18 वीं शताब्दी तक दुनिया का 80% चांदी अमेरिका और मैक्सिको की खद्दानो से निकाला गया। ये खद्दाने स्पेन के कब्जे में थी।
चांदी की ज्यादातर खद्दाने चांदी की नहीं है ज्यादातर चांदी को तांबा (Copper), सोना (Gold),जस्ता (Zinc), शीशा (Lead) कि खद्दानो से निकलती हैं ।
भारत में कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड और सिक्किम में चांदी की खद्दाने है।
उत्पादक इसे चांदी (Silver) के भाव में खरीदते है और वापिस ये कबाड़ के भाव में इलेक्ट्रॉनिकस के साथ बिकता है।
भारत में चांदी का इस्तेमाल
भारत में चांदी का इस्तेमाल चांदी के आभूषण बनवाने, दवाओं को बनाने, आयुर्वेद में ,मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाने,पान पर चांदी का वर्क लगाने आदि पर ही हर साल लगभग 13 टन चांदी का इस्तेमाल होता हैं।

भारत चांदी का सबसे बड़ा इंपोर्टर
इतिहासकारों के अनुसार पहली बार चांदी की खुुुुदाई 300 BC में तुर्की में हुई थी।उस वक्त इस जगह को अनाटोलिया (Anatolia) कहा जाता था।

चांदी की खदान
यहां से मिले चांदी का इस्तेमाल ग्रीस (Greece) में बसे हुए मैसिनियन सभ्यत (Mycenaean Civilization) के लोग करते थे।
वे लोग चांदी का खनिज निकालते थे और फिर उसे शुद्ध किया जाता था। शुरु में ये बहुत मुश्किल होता था।
फिर 2500 BC में मैसिनियन सभ्यता के लोगों ने चांदी को पौराणिक विधि से विकसित किया जिसे क्यूपलेसन (Cupellation) कहा जाता था।

1200 BC आते - आते मैसिनियनस सभ्यता का अंत हो गया। जिसकी वजह से वो खद्दाने (माइनस) भी बंद हो गई।
ग्रीस में चांदी की खद्दाने
400 BC के आस - पास ग्रीस में एथेन्स (Athens) के पास लॉरियम (Laurium) में चांदी की बहुत बड़ी खद्दाने मिली।
इन खद्दानो से निकलने वाली चांदी धीरे-धीरे एसिया माइनर में अनाटोलिया (Anatolia) और इटली की सर्डिनिया (Sardinia) में अपनी चमक की वजह से प्रसिद्ध होने लगी।
1200 BC में तुर्की की खद्दाने खत्म होने के बाद, पहली शताब्दी AD तक लॉरियम (Laurium) की खद्दाने दुनिया की नंबर वन चांदी की खद्दाने बनी रही।
चांदी का पहला सिक्का
7 वी शताब्दी में पहली बार सेंट्रल तुर्की के शहर लिडिया (Lydia) में चांदी के सिक्के बने और यहीं पहली बार चांदी के सिक्कों के खरीदारी परम्परा भी शुरु हुई।जिसे कुछ सालों बाद ग्रीस (Greece) ने अपनाया ।
भारत का पहला चांदी का सिक्का
इतिहासकारों के अनुसार भारत का चांदी का सिक्का 4 वीं शताब्दी BC में बना था इसे शक् राजाओं ने उस समय के भारत में आने वाले रोमन व्यापारियों से भारतीय मसालों और हस्तलिपि बेेच कर कमाई थी।
रुपए को रुपया क्यों कहते है ?
संस्कृत में एक शब्द है रूप्यकं (रूप्यकं = चांदी का सिक्का) इसका मतलब होता है चांदी का सिक्का।
माना जाता है कि इस शब्द रूप्यकं की वजह से ही दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी ने 1526 में जब चांदी का सिक्का जारी किया था तब उसे रूपए का नाम दिया गया।

प्राचीन भारत में चांदी की कीमत
प्राचीन भारत में चांदी की कीमत हमेशा दो वजहों से तय होती थी।
पहला - चांदी खद्दानो से कितनी मात्रा में निकल रही है।
दूसरा - उसकी मांग कितनी है ?
तुर्की में चांदी की खद्दान थी और ग्रीस में मांग थी, इस वजह से ग्रीस में चांदी महंगी थी।
चीन में चांदी का सिक्का
चीन के मिंग वंश (Ming Dynasty) ने भी 14 वीं और 15 वीं शताब्दी में अपने मुद्रा को कागज़ की जगह चांदी में बदलने का फैसला किया।
![]() |
चीन के कागज़ की मुद्रा |

अमेरिका और मैक्सिको की खद्दाने
16 वीं शताब्दी से 18 वीं शताब्दी तक दुनिया का 80% चांदी अमेरिका और मैक्सिको की खद्दानो से निकाला गया। ये खद्दाने स्पेन के कब्जे में थी।
चांदी की ज्यादातर खद्दाने चांदी की नहीं है ज्यादातर चांदी को तांबा (Copper), सोना (Gold),जस्ता (Zinc), शीशा (Lead) कि खद्दानो से निकलती हैं ।
भारत में कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड और सिक्किम में चांदी की खद्दाने है।
इलेक्ट्रॉनिकस में सिल्वर (चांदी) का प्रयोग हर साल दुनिया की सारी खद्दानो से निकला चांदी (Silver) में से 14% इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में प्रयोग होता है।
उत्पादक इसे चांदी (Silver) के भाव में खरीदते है और वापिस ये कबाड़ के भाव में इलेक्ट्रॉनिकस के साथ बिकता है।
भारत में चांदी का इस्तेमाल
दुनिया में सबसे अधिक चांदी का इस्तेमाल भारत में होता हैं। भारत में 1 साल के अंदर 4000 टन चांदी खपत होती हैं।
भारत में चांदी का इस्तेमाल चांदी के आभूषण बनवाने, दवाओं को बनाने, आयुर्वेद में ,मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाने,पान पर चांदी का वर्क लगाने आदि पर ही हर साल लगभग 13 टन चांदी का इस्तेमाल होता हैं।

भारत चांदी का सबसे बड़ा इंपोर्टर

Comments
Post a Comment